जब-जब इतिहास के पन्नों को उलट – पलट कर पढ़ते हैं या समाज में किसी ब्यक्तित्व की चर्चा होती है तो उन हस्तियों की चर्चा होती है या इतिहास के पन्नों में पढ़ते हैं जो नेता हो या अभिनेता हो या कोई माल गुजार पर आज भी गांव के किसी किसान ,किसान पुत्र या गरीब तबके के सरल सहज व्यक्तित्व के धनियों का इतिहास में बहुत कम ही जिक्र होता है ।
वे जन्म लेते हैं और मृत्यु हो जाती है पर उनका कहीं पर कोई जिग्र तक नहीं होता लोग भूल जाते हैं ।पर ऐसे मध्यम परिवार के लोग भी समाज प्रदेश में अच्छे काम कर गए होते हैं ।आज ऐसे ही ब्यक्तित्व के धनी सरल सहज मिलनसार ,न्यायप्रिय किसान पुत्र का छोटा सा जिग्र करते हुए उनके समाज में अवदान को लिखने का एक प्रयास कर रहा हूँ ।
युवा वर्ग के प्रेरणा स्त्रोत दादा पाप मुन्ना दास के घर जन्मे त्रिलोचन मुन्ना दास लहरे का जन्म 1 जुलाई 1963 को एक मध्यम परिवार किसान के घर हुआ था उनके जन्म से इस परिवार में इस दिन उत्सव से कम न था । वे अपने परिवार में मंजिलें थे किसान परिवार में जन्म होने के कारण वे पढ़ लिख ना सके बस प्राथमिक शिक्षा ही ग्रहण कर पाए और बचपन से उम्र के साथ कब जवान और कब कम उम्र में विवाह हुआ पता ही न चला वही घर की जिम्मेदारी कंधे पर आ टिकी और अपनी पैतृक काम खेती किसानी में लीन हो गए उन्हें जवानी और युवा का पता ही नहीं चला ।
कोसीर और आस पास के ग्रामीण अंचल में चल रहे सामाजिक कार्यक्रमों ,सामाजिक गतिविधियों में जुड़े रहे कब 40 की उम्र हुई अपने परिवार बढ़े अहसास तक न हुआ ,और वे 50 उम्र पार कर गए ।
इन समयों में वे सामाजिक राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े रहे ।सत्र 1980 से 1998 तक विशेष राजनीतिक में लगाव रहा पर वह राजनीति में कदम ना रख सके पर गांव की सामाजिक बैठको मैं अपनी पकड़ रखते थे सत्र 2001 से 2015 तक त्रिस्तरिय पंचायत चुनावो में विशेष दखल रखते थे । और अच्छे काम करने वालों की प्रशंसा भी करते थे उनके साथ होते थे ।इन समय में एक सशक्त किसान के रूप में उभरे इनके उनका एक अलग नाम था वे सरल सहज और मिलनसार न्यायप्रिय किसान रहे ।
वे बहुत कम उम्र 56 वर्ष में 29 अक्टूबर 2018 को कम उम्र में ही आकस्मिक निधन हो गया उनकी बहुत सारे सपने अभी पूरे भी नहीं हुए थे और बहुत कुछ अपने परिवार के लिए करना था पर चले गए उनके निधन से परिवार और समाज को गहरा दुख पहुंचा ।
त्रिलोचन लहरे जी नहीं रहे पर उनके सपनों का इतिहास के पन्नों में सिमट गया ।
आज 01 जुलाई को 60 वां जन्मदिवस पर नमन करते हैं। और उनके आदर्शों को याद करते हैं ।एक अच्छा किसान अब नहीं रहा पर समाज में आज भी उनकी सरलता – सहजता की चर्चा होती है । जन्म दिवस पर विनम्र नमन करते हैं । उनकी यांदे हमेशा समाज को नई प्रेरणा देती रहेगी । बाबू जी आप की यांदे हमें सच्चे मार्ग दिखाती रहेगी ।

लक्ष्मी नारायण लहरे ‘साहिल ,
कोसीर सारंगढ
तुलसी लहरे
गोल्डी कुमार लहरे
