सारंगढ़। जिला मुख्यालय का गांव कोसीर अपने आप में एक अलग पहचान रखता है ।ग्राम पंचायत कोसीर एक बड़ा गांव है जहां 4519 मतदाताओं की संख्या है जो 05 गांव के बराबर है नगर पंचायत की दौड़ में रहा कांग्रेस की सरकार में नगर पंचायत की घोषणा भी हुई पर नहीं बन सका । विकास की वाट आज भी जोह रहा है कहना गलत नहीं होगा । इतिहास की नजर से यह गांव ऐतिहासिक नगरी है जहां मां कौशलेश्वरी देवी की ऐतिहासिक मंदिर है पर आज भी ग्रामीण पर्यटन से नहीं जुड़ सका । इस क्षेत्र से जिला पंचायत के सदस्य विधानसभा तक अपनी पारी खेल चुके हैं ।
सारंगढ़ बिलाईगढ़ नए जिले के सृजन होने से आने वाले समय में विकास होगा यह दो राय नहीं है । गांव में शिक्षा स्वास्थ्य पानी की आज भी कहीं न कहीं समस्या देखी जा सकती है ।गांव में संक्राम नाला को धरोहर के रूप में सहेजने की जरूरत है वहीं कई छोटे छोटे तालाब अपनी अंतिम स्थिति पर आंसू बहा रहे हैं ।कोसीर गांव का बांधा तालाब जो गांव की जीवन दायिनी है उसे भी अब ग्रहण लग गया है । वर्षों से गांव में उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज की मांग होती रही पर वह भी नहीं हो सका आखिर विकास कब होगा ।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आती है और उत्सव बनकर रह जाती है ।विकास के नाम पर बस ठगा जाता है आखिर गांव की पहचान कौन दिलाएगा। बरसों बीत गए पर गांव वहीं का वहीं रह गया शिक्षा का स्तर स्वास्थ्य का स्तर में कोई बदलाव नहीं हुआ । यह गांव आर्थिक स्थिति से भी कहीं न कहीं कमजोर दिखती है ।गांव की सरकार के पास क्या इसे सुधार करने की इच्छा शक्ति है या बस सिर्फ इंतजार करना है ।मूलभूत कई सुविधाओं से गांव आज भी कोसों दूर नजर आता है ।अपने का का मुखिया कभी स्कूलों की शिक्षा को लेकर कभी प्रोत्साहित नहीं करते ।नए मुखिया से गांव को बड़ी उम्मीद है विश्वास है गांव की मुखिया की शपथ जब लें तो गांव की स्थित पर चिंतन करते हुए शपथ लें ।गांव की सरकार की नई पहचान बने लोग बड़ी उम्मीद से गांव का मुखिया चुनते हैं । इस वर्ष गांव की मुखिया महिला होंगी उनसे उम्मीद है वे गांव को जरूर सुंदर और स्वच्छ रखेंगी जैसे वे अपने घर की आंगन को रखते हैं । इसी विश्वास के साथ अपना मुखिया चुने और जीत की अशेष शुभकामनाएं….

लक्ष्मी नारायण लहरे “साहिल”
साहित्यकार पत्रकार
कोसीर सारंगढ़
