नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी से जुड़े मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ अदालत में अपील करने के लिए सोमवार को सूरत पहुंचे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी भाई राहुल के साथ सूरत आईं। सूरत कोर्ट ने राहुल को 13 अप्रैल तक जमानत दे दी। वहीं, उनकी सजा के खिलाफ सुनवाई के लिए तीन मई की तारीख दे दी। राहुल के सूरत जाने पर राजनीति भी शुरू हो गई है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि ये लोग अपील के नाम पर हुड़दंग करने जा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि यह राहुल गांधी के साथ उनकी एकजुटता है।
मानहानि केस में कोर्ट की सजा के खिलाफ याचिका दायर करने जा रहे राहुल के साथ कांग्रेस नेताओं की बड़ी फौज भी सूरत पहुंची है। अब इसको लेकर भाजपा ने निशाना साधा है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे नौटंकी करार दिया और कहा कि ये सब लोग अपील के नाम पर हुड़दंग करने जा रहे हैं। संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर, कांग्रेस और राहुल से सवाल किया कि क्या ये न्यायपालिका पर दबाव बनाने की कोशिश हो रही है? वहीं कानून मंत्री और भाजपा नेता कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राहुल गांधी पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘राहुल गांधी जो कर रहे हैं वह भी अपीलीय अदालत पर दबाव बनाने की बचकानी कोशिश है। देश की सभी अदालतें ऐसे हथकंडों से अछूती हैं।’
राहुल के पास क्या विकल्प?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता भी बहाल हो सकती है और वो बरी भी हो सकते हैं लेकिन ये सब कुछ ऊपरी अदालत में तय होगा। राहुल के पास अभी कुछ विकल्प बचे हैं, जैसे:
¶ सबसे पहले, राहुल गांधी को सजा के खिलाफ स्टे ऑर्डर लेने के लिए सूरत कोर्ट गए हैं। यदि वह अपनी संसद की सदस्यता बरकरार रखना चाहते हैं, तो वायनाड लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव होने से पहले राहुल गांधी को बरी होना होगा है; केवल उनकी सजा के खिलाफ रोक पर्याप्त नहीं होगी।
¶ वह 2024 का चुनाव तभी लड़ सकते हैं जब कोई ऊपरी अदालत उनकी सजा को रद्द कर दे, या यदि सूरत की निचली अदालत का फैसला पलट दिया जाए। अगर ऊपरी अदालत निचली अदालत से राहुल गांधी की दोषसिद्धि को रद्द नहीं करती है तो वह 2031 तक चुनाव नहीं लड़ सकते।
¶ यदि उन्हें सजा से स्थगन आदेश मिलता है, तो उन्हें लोकसभा सचिव को सूचित करना होगा और अनुरोध करना होगा कि वह संसद से अपनी अयोग्यता के नोटिस को रद्द कर दें। यदि लोकसभा राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता अयोग्यता की अधिसूचना को रद्द नहीं करती है, तो कांग्रेस नेता लोकसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ अदालत जा सकते हैं।
