सारंगढ़ / सारंगढ़ जिला अंतर्गत जनपद पंचायत बरमकेला मे 96 ग्राम पंचायत हैं जिसमे लाखो रुपए खर्च कर गांव मे रहने के लिए सचिवों के लिए सचिवालय व कार्यालय बनाए गए है, इन सभी सचिवालय व कार्यालय पर हमेशा ताले लटकते रहते हैँ, इससे पंचायती राज व्यवस्था कि खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, भारत सरकार द्वारा गांव के लोगों का जीवन स्तर उठाने के लिए विभिन्न तरीको से प्रयास जारी है लेकिन इसके लिए इस व्यवस्था को संचालित करने के लिए तैनात अधिकारी व कर्मचारी इसे नजर अंदाज कर खुले तौर पर मखौल उड़ा रहें हैं।
बहरहाल सरकार द्वारा लाखों की लागत से हर ग्राम पंचायत स्तर पर सचिवालय व कार्यालय बनाया गया है लेकिन जनपद सीईओ बरमकेला के लापरवाही के चलते पंचायत भवन कभी नहीं खुलता, पंचायत भवनो के कुर्सी टेबल धूल खा रहें हैं, पंचायत सचिवो को दो, तीन ग्राम पंचायत का प्रभार दिया गया है, जबकि देखा जाए तो अधिक से अधिक गांव के प्रभार लेने के लिए पंचायत सचिवों द्वारा हर संभव कोशिश की जाती है। इसमें सबसे अहम बात यह है कि इन पंचायत कर्मचारी के कार्य क्षेत्र वाले गांव एक दूसरे से सटे होते हुए भी कभी गांवों में नहीं रहते। कई ऐसे सचिव हैं जिनको गांव वाले देखना तो दूर नाम तक नहीं जानते, सचिव अपने थैले मे पूरा पंचायत राज ले के घूमते हैं जिससे ग्रामीण दर दर भटकने को मजबूर हैं,
क्या कहा सचिव संघ के ब्लॉक अध्यक्ष ज्योत्स्ना पटेल
शासन के योजनाओं का हमारे द्वारा क्रियान्वयन हेतु हमेशा प्रयास किया जा रहा है, हमें जनपद सीईओ के द्वारा इतना काम दिया जा रहा है कि हमें पंचायत भवन खुलने का फुरसत भी नहीं मिल पाता,और तो और सीईओ के द्वारा हमें छुट्टी के दिन मे भी काम करवाया जा रहा है जिससे पंचायत भवन जाने का मौका नहीं मिल पाता
