सारंगढ़ - बिलाईगढ़

आरबीसी 6-4 : राज्य सरकार द्वारा पीड़ित परिवारों के मनोबल बनाए रखने और प्राकृतिक विपदा से लड़ने के लिए दी जाती है आर्थिक सहायता

प्राकृतिक आपदा केस में पीड़ित का इलाज अस्पताल में, रिपोर्ट थाना में और आवेदन तहसील में करना होगा, बिजली करंट से घायल या मृत्यु पर जिला विद्युत कार्यालय से मिलेगा मुआवजा

सारंगढ़ बिलाईगढ़. बरसात के मौसम में प्राकृतिक आपदा के अधिकांश घटना घटती है जैसे आकाशीय बिजली का गिरना, नदी नालों में बाढ़, पेड़ गिरना, फसल क्षति, मकान ढहना, सर्प बिच्छू के काटने डंक से लोगों की मृत्यु होती है। राज्य सरकार ने प्राकृतिक आपदा से मनुष्य, पशु, घर, फसल आदि को होने वाले क्षति के लिए राजस्व और ऊर्जा विभाग (विद्युत कंपनी) के माध्यम से शासकीय कार्यवाही के बाद पीड़ित या उसके परिजन को आर्थिक अनुदान सहायता राशि देने का प्रावधान किया है।

सरकारी अनुदान सहायता राशि प्राप्त करने के लिए पीड़ित या उनके परिजनों को घटना के हिसाब से सरकारी या निजी अस्पताल में इलाज और पुलिस वाले केस में थाना में रिपोर्ट दर्ज करना चाहिए। सरकारी कार्यवाही में इन सभी दस्तावेजों की जरूरत होती है। राजस्व अधिकारियों को प्राकृतिक प्रकोप से हुई हानि का आकलन करने एवं पीड़ितों को सहायता उपलब्ध कराने की कार्रवाई में माननीय जनप्रतिनिधियों का अधिक से अधिक विश्वास एवं सहयोग से पीड़ित तक राशि उपलब्ध कराने का राज्य सरकार का उद्देश्य पूरा होता है। प्राकृतिक प्रकोपों में, नैसर्गिक विपत्तियों के कारण नदी, तालाब, बांध, नहर, नाला, कुंआ, गड्डे आदि में गिरकर पानी में डूबने से, सर्प, बिच्छू, गुहेरा या मधुमक्खी के काटने से, नाव दुर्घटना से, रसोई गैस सिलेंडर या स्टोव फटने से, खदान धसकने से, लू से, आकाशीय बिजली से, पेड़ या डंगाल के गिरने से, बिजली करंट से, अतिवृष्टि ओला पाला, तुसार, शीतलहर, टिड्डी, बाढ़, सूखा, आंधी, तूफान, भूकंप, भू-स्खलन, बादल का फटना, मिट्टी या बर्फ के पहाड़ों का खिसकना, सुनामी, कीट प्रकोप एवं अग्नि दुर्घटनाओं से जनहानि, पशुहानि और फसल हानि होती है।

इन आपदाओं में मृतक व्यक्ति के परिवार के निकटतम वारिस को 4 लाख रूपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। मृत व्यक्ति में बच्चा भी शामिल है। परिवार में एक से अधिक व्यक्ति होने पर वारिस को सहायता अनुदान प्रत्येक मृतक के मान से दे होगा। इसके लिए मृत्यु की सूचना प्राप्त होने पर एसडीएम, तहसीलदार या नायब तहसीलदार द्वारा घटनास्थल पर शीघ्र पहुंचकर मृत्यु होने एवं उसके कारणों की जांच की जाएगी और डॉक्टर से मृतक का परीक्षण भी तत्काल कराया जाएगा। राज्य के किसी भी व्यक्ति की मृत्यु प्राकृतिक आपदा से अपने गृह जिले के अतिरिक्त अन्य जिले में होती है तो मृतक व्यक्ति के परिवार को उसके मूल गृह जिले से अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी मृत्यु स्थल से घटना का सत्यापन प्राप्त कर संबंधित कलेक्टर अनुदान सहायता की स्वीकृति देंगे।

आपदा के समय राहत एवं बचाव कार्य में लगे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मृत्यु होने पर उनके परिवार को भी अनुदान सहायता की पात्रता होगी। राज्य के सीमावर्ती प्रदेशों में उपरोक्त आपदाओं के समय किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उस राज्य से घटनास्थल का प्रतिवेदन प्राप्त कर मृत व्यक्ति के मूल निवास जिले में मृतक परिवार को अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी। ऐसे भारतीय नागरिक जो अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर लिए हैं या विदेशी नागरिक हो, उनका आपदाओं से मृत्यु होती है तो उनके परिवार को आर्थिक अनुदान सहायता की पात्रता नहीं होगी। अग्नि दुर्घटना में कृषक की फसल या मकान के जलने से हानि होती है। व्यक्तियों और पशुओं के जल जाने से जनहानि एवं पशुहानि भी होती है। कभी-कभी दुकानों में आग लग जाने से छोटे दुकानदारों को बेरोजगार हो जाना पडता है।

प्राकृतिक प्रकोपों से कई मामलों में लोग बेघर हो जाते हैं। कई बार बगैर पूर्व सूचना के बांधों का पानी छोडने से भी निचले क्षेत्रों को क्षति पहुंचती है। इन सब परिस्थितियों में राज्य शासन ने संबंधित पीड़ित को तत्काल अनुदान के रूप में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए राजस्व पुस्तक परिपत्र (आरबीसी 6-4) में प्रावधान किया है, ताकि संबंधित व्यक्ति या उनके परिवार पर आई विपदा का मुकाबला करने के लिए उनमें मनोबल बना रहे और वह अपने परिवार को पुनर्स्थापित कर सके। राजस्व पुस्तक परिपत्र (आरबीसी 6-4) का उद्देश्य पीडितों को तात्कालिक आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना है न कि संबंधित को हुई क्षति की पूर्ण प्रतिपूर्ति मुआवजे के रूप में प्रदान करना, किन्तु यह भी आवश्यक है कि ऐसे मामलों में जिनमें किसी प्राकृतिक प्रकोप के कारण लोगों एवं परिवारों को ऐसी हानि हुई, जिसमें वे बेघर एवं बेरोजगार हो गये हैं, वहां पर्याप्त राहत पहुंचाने का प्रावधान है।

प्राकृतिक आपदा की स्थिति में क्षेत्र के राजस्व कर्मचारी, जिसके अंतर्गत राजस्व निरीक्षक, पटवारी, पटेल एवं कोटवार शामिल हैं, का कर्तव्य है कि क्षति की तत्काल सूचना तहसीलदार / नायब तहसीलदार को प्रदान करें। प्राकृतिक प्रकोप से क्षति केवल किसी कृषक विशेष व्यक्ति विशेष को ही हुई है तो फार्म-एक में आवेदन-पत्र तहसीलदार को दे सकते हैं। व्यापक आपदा के मामले में प्रभावित व्यक्तियों द्वारा आवेदन देना अनिवार्य नही होगा, बल्कि राजस्व कर्मचारी द्वारा स्वप्रेरणा से प्रभावित क्षेत्र का सर्वे कर आर्थिक सहायता हेतु प्रतिवेदन तैयार किये जायेंगे। आवेदन प्रतिवेदन क्षति के दिनांक से 30 दिवस की समयावधि के भीतर प्रस्तुत करेंगे। देरी (विलंब) से प्रस्तुत आवेदन के साथ प्रत्येक विलंब दिवस का कारण स्पष्ट किया जाना अनिवार्य है।

प्रत्येक आवदेन प्रतिवेदन प्राप्ति के बाद पंजीयन तहसीलदार या नायब तहसीलदार द्वारा राजस्व न्यायालयीन प्रक्रिया हेतु निर्धारित वेब पोर्टल पर 2 दिन में करेंगे। यदि सहायता की राशि तहसीलदार के वित्तीय अधिकार की सीमा में है तो 10 दिन के भीतर सहायता उपलब्ध कराई जायेगी और यदि प्रकरण तहसीलदार के वित्तीय अधिकार की सीमा से अधिक राशि का है, तो यथास्थिति प्रकरण में अनुविभागीय अधिकारी / कलेक्टर/ सभागीय आयुक्त या शासन की स्वीकृति प्राप्त की जायेगी। पीडितो को सहायता राशि आवेदन प्रतिवेदन के 15 दिन के अन्दर अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने का प्रावधान है। विलंब की स्थिति में संबंधित राजस्व अधिकारी व्यक्तिश उत्तरदायी हैं। 01 माह से अधिक समय तक लंबित प्रकरणों में शासन दोषी राजस्व अधिकारियों पर रुपये 100 प्रति विलंब दिवस की दर से रुपये 25 हजार रुपए से अनधिक शास्ति अधिरोपित कर सकेगा।

आर्थिक सहायता आदेश का पुनर्विलोकन आदेश दिनांक से 30 दिवस के भीतर आदेश देने वाले राजस्व अधिकारी द्वारा किया जा सकेगा। आर्थिक सहायता आदेश की अपील उचित वरिष्ठ न्यायालय में, आदेश दिनांक से 30 दिवस के भीतर की जा सकेगी, जिसमें समुचित सुनवाई पश्चात 30 दिवस में निर्णय लिया जाना अनिवार्य होगा, परंतु सहायता राशि के आदेश की द्वितीय अपील नहीं हो सकेगी। आर्थिक सहायता आदेश के मामले में पुनरीक्षण नहीं हो सकेगा। पीडित को सहायता राशि उसके बैंक खाते में सीधे लाभ अंतरण (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर) की विधि से प्रदान की जाएगी।

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