रायगढ़ जिले में विधि के समुचित सुविधाओं वाला कोर्स हेतु एक भी शासकीय विधि महाविद्यालय नहीं
सत्ता पक्ष सुविधाओं का आभाव बता रहा हैं तो वहीं विपक्ष इसे इच्छाशक्ति की कमी, क्या निजी महाविद्यालयों को लाभ देने की है मंशा या कुछ और है मजबूरी?
रायगढ़। छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा विभाग द्वारा लगभग 3 वर्ष पूर्व बिलासपुर विश्वविद्यालय से पृथक कर रायगढ़ में एक नए शासकीय विश्वविद्यालय शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय की स्थापना की।जिसमें रायगढ़ एवं जांजगीर जिले के सभी शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों को सम्बद्ध किया गया एवं वर्तमान में दो नवनिर्मित जिले सारंगढ़ एवं सक्ति भी इसी से सम्बध्द हैं किंतु समूचे रायगढ़ जिले में एलएलबी के कोर्स हेतु एक भी शासकीय महाविद्यालय संचालित नहीं हैं।रायगढ़ जिले में जहाँ विश्विद्यालय का मुख्यालय स्थापित है वहाँ एलएलबी के लिए छात्रों को निजी महाविद्यालय स्वामी बालकृष्ण पूरी विधि महाविद्यालय की ओर रुख करना पड़ता है एवं विश्विद्यालय में भी एलएलबी हेतु यूनिवर्सिटी टीचिंग डिपार्टमेंट संचालित नहीं है।
गत वर्ष एक मात्र निजी स्वामी बालकृष्ण पुरी विधि महाविद्यालय में लगभग 30 प्रतिशत फीस की बढोत्तरी की गई थी जिससे छात्रों में काफी निराशा देखी गई थी।बताया जाता है कि छात्रगण उच्च शिक्षा मंत्री से मिलने उनके गृहग्राम नंदेली तक आये थे किंतु गुजरात चुनाव में गए होने कि वजह से छात्रों को बैरंग लौटना पड़ा था।अगर देखा जाए तो एलएलबी हेतु स्वामी बालकृष्ण विधि महाविद्यालय में धरमजयगढ़, खरसिया,मालखरौदा,सक्ति, सारंगढ़, आदि क्षेत्रों से छात्र पढ़ने के लिए रायगढ़ आते हैं।स्वामी बालकृष्ण पूरी महाविद्यालय में हाल यह है कि यहाँ छात्रों के एडमिशन के मुताबिक यहाँ बैठने की व्यवस्था भी नहीं है।
शासकीय महाविद्यालय में सिर्फ जांजगीर जिले के शासकीय ठाकुर छेदी लाल महाविद्यालय में ही सिर्फ एलएलबी कोर्स उपलब्ध है किंतु वहाँ भी सीमित सीटें हैं जिसका बेजा लाभ निजी संस्थाएँ उठाती हैं।रायगढ़ में शासकीय पलूराम धनानिया महाविद्यालय में 5 वर्षीय बीए, एलएलबी कोर्स संचालित है जिसमें सिर्फ 60 सीटें हैं किंतु तीन वर्षीय एलएलबी हेतु एक भी सीट नहीं होने से।अंततः सुदूर अंचल से आकर बड़ी ही विपरीत परिस्थितियों में विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करना पड़ता है।
जिले में एलएलएम का तो और भी बुरा हाल यदि एलएलएम की शिक्षा की बात करें तो शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय में सिर्फ जांजगीर के अलावा कोई विकल्प नहीं है ऐसे में रायगढ़ जिले के छात्रों को विश्वविद्यालय मुख्यालय को छोड़कर जांजगीर चाम्पा एलएलएम अध्ययन हेतु जाना पड़ता है।जो उनके लिए हिमालय की चोटी पर चढ़ने जैसा मुश्किलों भरा दुखद व कठिन होता है!
सुविधाओं का आभाव अथवा इच्छाशक्ति में कमी यूँ तो प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भी रायगढ़ जिले से ही आते हैं।रायगढ़ जिले की खरसिया विधानसभा से वे निर्वाचित विधायक हैं किंतु दिवंगत नेता शहीद नंदकुमार पटेल के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय में ऐसी समस्याओं के व्याप्त होने से इसे अलग अलग नजरिए से देखा जा रहा है। सत्ता पक्ष की ओर झुकाव रखने वाले लोग इसे सुविधाओं का आभाव बता रहे हैं तो वहीं विपक्ष के लोग इसे इच्छाशक्ति की कमी बता रहे हैं। साभार –सोशल मीडिया।
