दीप जले उजियाली छायी
घर -आंगन में खुशियाँ आयी
जगर -मगर ,जगर -मगर
घर -घर ,गली -गली
चुहुँ दिशा खुशियाँ छायी
दीपों की पंक्ति सजी
दीपों की रात सुहानी आयी
दीप जले उजियाली छायी
जन -मन में उमंग है छायी
उत्सव- उमंग की है घड़ी
अमावस की धुंध छट आयी
आंगन में फुलझड़ी जली
जन -जन में प्रेम बढ़े
उत्साह ,उमंग बढ़े
आंगन में है फिर खुशियाँ आयी
दीपों की रात से नई खुशियाँ आयी
दीप जले उजियाली छायी
नन्हे बच्चों में है खुशियाँ लौट आयी
घर के बड़ों का मनोबल लौट आयी
जगर -मगर ,जगर -मगर
दीप जले ..
दीप जले उजियाली छायी
दीपों की रात खुशियाँ आयी

लक्ष्मी नारायण लहरे “साहिल”
साहित्यकार पत्रकार
कोसीर सारंगढ़
