रायगढ़

नाम वापसी को लेकर कलेक्टोरेट में 1 घंटे तक भाजपा-कांग्रेस में विवाद, साम–दाम, दंड–भेद अपना रहे ओपी; अनिल शुक्ला

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रायगढ़। शुक्रवार को दोपहर 3 बजने में एक मिनट पहले की यह बेहद शर्मनाक करने वाली तस्वीर तब की है जब वार्ड क्रं.23 से कांग्रेस के प्रत्याशी शरद महापात्रे को भाजपा कार्यकर्ता रिटर्निंग ऑफिसर के कमरे के अंदर और कांग्रेस कार्यकर्ता बाहर रोकने पर झूमा झटकी कर रहे थे। किसी तरह शरद महापात्रे रिटर्निंग ऑफिस के कमरे में दाखिल हुए। फिर पुलिस ने हंगामा मचाते राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को बाहर निकाला। आधे घंटे तक कलेक्टोरेट में भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता एक दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते रहे इसी दौरान कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला फिर से जब अंदर घुसे तो माहौल और बिगड़ गया। पुलिस ने मुख्य दरवाजे को लॉक कर दिया। 4 बजे के करीब मीडिया से मुखातिब होते हुए रिटर्निंग ऑफिसर प्रवीण तिवारी ने बताया कि जो व्यक्ति कमरे के अंदर आया था उसने नाम वापस लेने से मना कर दिया। स्पष्ट हो गया कि शरद महापात्रे ने दबाव में आ कर अपना नाम वापस नहीं लिया।


सत्ता पक्ष के लोगों द्वारा साम दाम दंड भेद की नीति अपनाई जा रही : शुक्ला


जिला कांग्रेस कमेटी रायगढ़ के अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने आज प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मीडिया को बताया कि आज नगरीय निकाय चुनाव के नाम वापसी के अंतिम दिन सत्ता पक्ष के लोगों द्वारा अपने साम दाम दंड भेद की नीति अपनाकर कांग्रेस के पार्षदों को खरीदने भयादोहन कर नाम वापिस लेने की सूचना पर संज्ञान लिया गया व त्वरित निर्वाचन कार्यालय की ओर मैं स्वयं अध्यक्ष अनिल शुक्ला अपने साथी पदाधिकारियों के साथ पहुंचे व उन्होंने वहां पाया कि कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशी को जबरन उकसाकर कार्यालय के भीतर भेजने और नाम वापसी का दबाव बनाया जा रहा था जिस पर सत्ता पक्ष के लोग उन्हें जबरन नाम वापसी के लिये प्रेरित करते नजर आए जिसका विरोध भी कांग्रेस नेताओं ने किया और काफी झूमा झटकी भी हुई।

वही आज २ पार्षद प्रत्याशियों ने नाम भी इस दबाव व धन बल के साधन के फलस्वरूप वापस लिए गए जिसकी पूरी जांच पार्टी अपने आंतरिक लोकतंत्र के आधार पर कर रही है यद्यपि वार्ड क्रमांक १८ की पार्षद प्रत्याशी ने अपने पति की स्वास्थ्य गत परेशानी और हॉस्पिटल भर्ती होने का हवाला दिया है पर भी भाजपा वाले जो समाचार मीडिया में चला रहे है उससे प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं ये सब सत्ता पार्टी का ही किया धरा होगा वही वार्ड क्रमांक 45 के पार्षद प्रत्याशी जो कि लैलूंगा विधान सभा से आते है वह भी सत्ता पक्ष की घटिया राजनीति के शिकार हुए हैं इसमें कोई संदेह नहीं है पार्टी ऐन पर जाँच कर अनुशासनात्मक कार्यवाही करेगी और अगर सत्ता पक्ष का कोई भी दबाव का साक्ष्य व लेन देन उजागर हुआ तो निर्वाचन आयोग से भी इसकी शिकायत की जावेगी।


अनिल शुक्ला ने कहा सत्ता पक्ष द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर गैर-लोकतांत्रिक तरीकों से विरोधी पार्टी के प्रत्याशियों को प्रभावित करने की कोशिश करना निश्चित रूप से निंदनीय और अक्षम्य है। यह लोकतंत्र की मूल भावना के विरूद्ध है और नागरिकों के अधिकारों का हनन करता है।
लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें सभी समूहों और समुदायों को सम्मिलित किया जाता है। यह सुश्चित करता है कि सभी नागरिकों को समान अवसर मिले और उनकी आवाज सुनी जाए, लेकिन जब सत्ता पक्ष अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर विरोधी पार्टी के प्रत्याशियों को प्रभावित करने की कोशिश करता है, तो यह लोकतंत्र की मूल भावना को कमजोर करता है।


अनिल शुक्ला ने अपनी विज्ञप्ति में आगे कहा इस तरह की गतिविधियों से न केवल लोकतंत्र की हत्या होती है, बल्कि यह नागरिकों के विश्वास को भी कमजोर करता है। यह आवश्यक है कि सत्ता पक्ष और विरोधी पार्टी दोनों ही लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करें और नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करें।
वहीं अनिल शुक्ला ने निर्वाचन आयोग से मांग की है कि किसी भी प्रत्याशी को निर्विरोध विजेता घोषित नहीं किया जावे कानूनन जो मतदाताओं को नोटा पर भी बटन दबाने का अधिकार होता है सभी मताधिकारियों को नोटा चुनने का अधिकार मिले साथ ही भारी भय के वातावरण निर्मित होने और स्वस्थ्य राजनीति का वातावरण बनाये रखने हेतु कांग्रेस पार्षद प्रत्यशियों को पर्याप्त सुरक्षा बल प्रदान किए जाएं।
अनिल शुक्ला ने बताया कि सत्ता में बैठे बड़े आदमी को अपने चाल, चरित्र और चेहरे को जग जाहिर होने से बचाने के लिये स्वस्थ्य लोकतंत्र पर भरोसा करना चाहिए।

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