रायगढ़ । विश्व के विराट गणतंत्र भारत के गणतंत्रदिवस पर सर्वत्र अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए इसी तारतम्य में सरस्वती शिशु मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय लोचन नगर रायगढ़ में भी बड़े ही धूमधाम से देश का 76वाँ गणतंत्र दिवस मनाया गया इस अवसर पर अनेक विधाओं में कार्यक्रम आयोजित हुए। जैसे प्रभात फेरी, देशभक्ति उद्बोधन,सामूहिक नृत्य,एकल नृत्य, युगल नृत्य एवं अन्य भाषाओं में उद्बोधन दिया गया।कार्यक्रम में सर्वप्रथम भारत माता के वेश में एक बहिन एवं घोष वाद्य यंत्र के साथ लोचन नगर कॉलोनी में प्रभात फेरी निकाली गई और देशभक्ति नारों से पूरी कॉलोनी गुंजायमान हो गई।फिर विद्यालय प्रांगण में ध्वज का पूजन अर्चन कर ध्वजोतोलन किया गया साथ ही साथ राष्ट्रीय गान गाया गया और देशभक्ति के नारे लगाए गए। इसके बाद विद्यालय के सभा कक्ष में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसके मुख्य अतिथि श्री सुर्ष्टि तिवारी (सेवानिवृत वन विभाग एवं सम्मानीय अभिभावक )एवं अध्यक्ष श्री दुर्वादल पटनायक(उपाध्यक्ष सशिमं समिति रायगढ़ एवं सशिमं लोचन नगर प्रभारी),संस्था प्रमुख श्री श्याम लाल पटेल जी एवं वरिष्ठ आचार्य अंजनी श्रीवास्तव जी मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन चंद्रकांति विश्वकर्मा ने किया एवं छायांकन विकास सोनी और प्रियंका रेड्डी ने किया है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा सरस्वतीमाता, ओम एवं भारत माता के छायाचित्रों के समक्ष पूजन अर्चन कर दीप प्रज्वलित किया गया और दीप मंत्र उच्चारित गया। फिर अंजली एवं चेतना ने सरस्वती वंदना सुमधुर स्वर में गाया। फिर अतिथियों का सम्मान एवं स्वागत रोली, हल्दी से तिलक वंदन कर श्रीफल भेंट करते हुए किया। फिर संस्था प्रमुख श्री श्याम लाल पटेल जी ने अतिथि परिचय कराया।इसके बाद अंजली किसान ने हिंदी भाषा अपना ओजस्वी उद्बोधन दिया, फिर उदय की बहिनों ने मनमोहक सुआ नृत्य प्रस्तुत किया फिर कक्षा अरुण से सभी भैया बहनों ने एक सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद बहिन चेतन गुप्ता ने संस्कृत भाषा में अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया, फिर उदय की बहिन ने एकल नृत्य की सुन्दर किया। इसके बाद कक्षा शिशु द्वारा नृत्य नाटिका की अद्भुत प्रस्तुति दी गई।कक्षा प्रथम की बहनें युगल नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। इसके बाद कक्षा षष्ट की बहिनों ने मनोहरी सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति दी। तत्पश्चात डाली दर्शन और लीना दर्शन ने युगल नृत्य प्रस्तुत किया।उसके बाद कक्षा अष्टम से तमिल भाषा के एक मधुर गीत पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया गया। फिर कक्षा दशम् की बहिन कामना एवं शारदा ने हिंदी एवं तेलगु भाषा में मिलाजुला गीत चित्ताकर्षक नृत्य की छटा बिखेरी।एक बार फिर कक्षा अष्टम् से नृत्य मान्या एवं साथियों ने प्रस्तुत किया।फिर नवम् की बहिन आकांक्षा तिवारी शास्त्रीय गीत भारत एक अनोखा राग है…. पर शास्त्रीय नृत्य किया। जिसे सभी दर्शकों ने मुक्त कण्ठ से सराहा।फिर भैया समर पटेल ने आंग्ल भाषा में अपने विचार रखे,फिर मेघा और साथियो ने सामूहिक नृत्य किया।इसके बाद लीना दर्शन ने एकल नृत्य प्रस्तुत किया। फिर परिधि साहू ने गणतंत्र दिवस समारोह पर अपने विचार व्यक्त किया।

मुख्य अतिथि की आसंदी से श्री तिवारी जी ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए सभी छात्रों को आशिर्वचन प्रदान किया और गणतंत्र दिवस का महत्व बताया इसके बाद श्री डी.पटनायक जी ने गणतंत्र दिवस के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए भारतीय गणतंत्र की विशेषताओं का उल्लेख किया और उन्होंने सभी विद्यार्थियों को अपने संविधान का सम्मान करने एवं पूर्ण मनोयोग से विद्या अध्ययन करने की प्रेरणा दी। इसके बाद वरिष्ठ आचार्य अंजनी श्रीवास्तव जी ने समस्त अभिभावकों का आत्मीय स्वागत करते हुए गणतंत्र दिवस की बधाई दी और समस्त देशवासियों को भारत को स्वतंत्र करने के लिए सही गई पीड़ा पर कष्टों को याद कराया और साथ ही साथ भारतीय संविधान के निर्माण में जो परिश्रम किया गया उसे बताते हुए छात्र परिवार को कठिन परिश्रम कर निरंतर संघर्षरत रहने और अपने परीक्षा फल को उत्कृष्ट बनाने में लगे रहने की बात कही। और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की,फिर संस्था प्रमुख प्राचार्य श्री श्याम लाल पटेल जी ने आभार ज्ञापित करते हुए कहा की त्रेता युग में राम को 14 वर्ष का वनवास दिया गया था द्वापर युग में पांडवों को 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास दिया गया था। यह उनके संविधान की व्यवस्था रही होगी,इसी तरह हमारे संविधान की भी रचना की गई है जो एक सबसे बड़ा लिखित संविधान है इसका हमें सम्मान करना चाहिए और उन्होंने समस्त आए हुए आगंतुक अभिभावकों, अतिथियों आदि का आभर ज्ञापित किया। फिर कल्याण मंत्र द्वारा उत्सव का समापन हुआ। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में आचार्य परिवार एवं छात्र परिषद के सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा उक्त जानकारी संस्था के प्रचार प्रसार प्रमुख श्री अंजनी श्रीवास्तव जी ने दी।
