स्कूलों में औन-पौने दामों में बेची जाती है पुस्तकें व यूनिफार्म, जिला प्रशासन से लगाई इस व्यवसाय में लगाम लगाने की मांग
रायगढ़। रायगढ़ जिल में संचालित निजी स्कूलों की मनमानी से जहां स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ बढ़ते जा रहा है वहीं पालकों की जेब पर भी इसका खासा असर देखने को मिल रहा है। प्राईवेट स्कूलों के संचालकों के द्वारा शिक्षा के मंदिर को भी व्यवसाय का जरिया बनाते हुए न केवल मनमाने दर पर किताबों को बेचा जा रहा है बल्कि स्कूल यूनिफार्म को भी स्कूल में बाजार से दो से तीन गुने अधिक दर पर बेचा जा रहा है। युवक कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष आशीष यादव ने आज प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए जिला प्रशासन से इस अवैध वसूली पर लगाम लगाने की अपील की है ताकि गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारो को थोड़ी बहुत राहत मिल सके। युवक कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष आशीष यादव ने अपने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि हर एक मां-बाप का सपना होता है कि वह अपने बच्चे से अच्छे से अच्छे स्कूल में दाखिला करवाकर उसे अच्छी शिक्षा दिलवा सके। परंतु उनका यह सपना अब केवल एक सपना बनकर रह गया है। चूंकि जिले में संचालित अधिकांश प्राईवेट स्कूल के संचालक शिक्षा के मंदिर को व्यवसाय का जरिया बनाते हुए मोटी कमाई करने में जरा भी पीछे नही। नर्सरी के बच्चो के साल भर की फीस 30 हजार से 40 हजार रुपए है, हर साल स्कूली बच्चों के किताबों में बदलाव करते हुए उसकी दर बढ़ाते हुए मोटी रकम में सिर्फ और सिर्फ स्कूलों के द्वारा ही बेची जा रही है। नर्सरी के बच्चों के पुस्तकों की कीमत जहां 3 से 4 हजार रूपये है तो अन्य कक्षाओं के बच्चों की पुस्तकों की कीमत क्या होगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। ये सिर्फ और सिर्फ शिक्षा का व्यवसाय है। साथ ही साथ स्कूल युनिफार्म जहां पहले कभी शहर के बाजारों में किसी भी दुकानों में सही कीमत में मिल जाता था उसे भी अब स्कूल संचालकों को इसे भी अपने ही स्कूल में मनमाने दर पर बेचा जा रहा है। युवक कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष आशीष यादव का यह भी कहना था कि जिले में संचालित प्राईवेट स्कूलों के द्वारा अगर सीजी बोर्ड की मान्यता लेकर अपने स्कूल का संचालन किया जा रहा है तो फिर इन स्कूलों में अतिरिक्त विषयों का पुस्तक लेना अनिवार्य क्यों किया गया है। युवक कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष आशीष यादव ने कहा है कि जिला प्रशासन को जिले में संचालित प्राईवेट स्कूलों की इस मनमानी पर तत्काल लगाम लगाना अत्यंत आवश्यक है, जिससे प्राइवेट स्कूल के संचालक जो स्कूल के नाम पर मोटी कमाई कर रहें है उस पर विराम लग सके, साथ ही साथ हर वर्ग के बच्चों व उनके पालकों को इस महंगाई के दौर में थोड़ी राहत मिल सके।
