संपादकीय

अब पायलट मोदी!


(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)

भाई मान गए मोदी जी को। सचिन पायलट को वो जवाब दिया है, वो जवाब दिया है, कि बच्चू जिंदगी भर याद रखेंगे कि मोदी जी से कभी नहीं उलझना है। बताइए, इधर राजस्थान में वोट पड़ रहे थे और उधर अपने मोदी जी बंगलूरु में तेजस लड़ाकू विमान उड़ा रहे थे। पायलट नाम वाले के लिए इससे ज्यादा मुंहतोड़ जवाब और क्या हो सकता था, वह भी ऐन चुनाव के दिन, जिस दिन मतदान मशीन का बटन दबाकर लोगों को सारे हिसाब करने थे। मोदी जी ने एक ही दांव में सचिन को बता दिया कि बच्चू तुम तो नकली पाइलट हो। सिर्फ बाप के नाम के चक्कर में पायलट बने फिरते हो। इस असली पायलट के, वायु सेना के पायलट के, मुंह लगने की गलती दोबारा मत करना। राजस्थान के लिए हवा में यह संदेश छोड़ा और मोदी जी तेजस उड़ाने चले गए, सारी दुनिया को दूसरा विश्व गुरु वाला संदेश देने के लिए — अब अमृतकाल में भारत आत्मनिर्भरता में भी किसी से पीछे नहीं है। वह अपना हल्का लड़ाकू विमान बना भी रहा है, उसमें अपने पीएम को उड़ा भी रहा है!

हमें पता है, विपक्षी इसमें भी हुज्जत करेंगे। करेंगे क्या हुज्जत करना शुरू भी कर दिया है। और कुछ नहीं मिला, तो यही कहने लगे कि हवाई जहाज में सवारी करने से ही कोई पायलट नहीं बन जाता है। सिर्फ हाथ हिलाने से या जहाज पर चढऩे से कोई बंदा पायलट नहीं मान लिया जाएगा। साइकिल हो कि हवाई जहाज, चड्डी खाने वाला चड्डी खाने वाला ही रहेगा। उल्टे उड़ते जहाज में से हाथ हिलाने पर दुष्ट सवाल और उठा रहे हैं। कह रहे हैं कि यह भी तो चड्डी खाने की ही निशानी है। वर्ना उड़ते जहाज में से और वह भी लड़ाकू जहाज में से, पायलट को हाथ हिलाते हुए तो, आज तक किसी ने नहीं देखा। ऊपर होता भी कौन है, जिसे हाथ हिलाकर इम्प्रैस करने के चक्कर में कोई पायलट हाथ हिलाएगा। पाइलट की ड्रैस पहनने से कोई पायलट थोड़े ही बन जाएगा — सैर करने वाले का सैलानीपन, ऐसे ही अजब करतब तो कराएगा!

खैर, सचिन पायलट के जवाब को अगर छोड़ भी दें तब भी, यह तो विपक्ष वालों को भी मानना पड़ेगा कि मोदी जी का तेजस में उड़ान भरना भी खास था। और कुछ नहीं, तो मोदी जी की फिजीकल फिटनेस को ही देख लो। लड़ाकू विमान में उडऩे के लिए आला दर्जे की फिजिकल फिटनेस की जरूरत होती है। फिजिकल फिटनेस की परीक्षा के बिना तो पायलट तक लड़ाकू विमान में पांव नहीं रख सकता। पर मोदी जी ने लड़ाकू विमान में उड़ान भरी। पायलट न सही, मोदी जी के फिजिकल फिटनेस गुरु होने से तो कोई इंकार नहीं कर सकता है। अमृतकाल से पहले वाले किसी प्रधानमंत्री की या किसी और की, ऐसी फिटनेस थी क्या? माना कि राजीव गांधी तो खुद पायलट थे, मगर लड़ाकू विमान वाले पायलट तो नहीं ना थे। और सचिन के पापा, मरहूम राजेश पायलट वायु सेना के पायलट थे जरूर, पर आत्मनिर्भरता वाले तेजस विमान के पायलट थोड़े ही थे। और अब प्लीज मोदी जी की तेजस की सवारी का अनोखापन घटाने के लिए कोई यह याद नहीं दिलाए कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तो चार साल पहले, 2019 में ही तेजस में ही उड़ान भर चुके थे। जरूर मोदी जी ने ही उनसे तेजस को प्रमोट करने के लिए उसमें उडक़र दिखाने के लिए कहा होगा। वैसे भी चार साल पहले वाला तो बस नाम का ही तेजस था। अमृतकाल से पहले वाले तेजस में वो बात कहां, जो उस तेजस में है, जिसने मोदी जी को पायलट बना दिया।

(व्यंग्यकार वरिष्ठ पत्रकार और साप्ताहिक ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button