लक्ष्मी नारायण लहरे. सारंगढ़
सारंगढ़ मुख्यालय के सुदूर अंचल कनकबीरा में बिंझवार समाज की कुल देवी विंध्यवासिनी देवी मंदिर में नवरात्रि के नवें दिन विधि विधान के साथ हवन यज्ञ के पश्चात नव कन्याओं का पूजन किया गया और देवी मंदिर के मुख्य द्वार को बंध कर देवी के प्रतिक कन्याओं का मांदर झांझ के साथ स्वागत कर पूजा अर्चना किया गया वही पूरे अंचल के उपासक कन्याओं को भोजन कराकर आशीर्वाद लिए और नव कन्याओं को अपने से जो बन सका भेंट किए ।कन्या भोज कार्यक्रम के पश्चात सैकड़ों लोगों को भंडारे का भोजन कराया गया। विंध्यवासिनी देवी मंदिर बिंझवार समाज का आस्था का केंद्र है ।लोग यहां उत्साह के साथ पूरे नव दिन तक विधि विधान के साथ मंदिर में पूजा अर्चना कर सेवा किए ।
अंचल में नवरात्रि पर्व को लेकर उत्साह रहा । इस मंदिर निर्माण को लेकर शिक्षक लक्ष्मण बरिहा ने बताया । जब मंदिर नहीं बना था तो तेंदू पेड़ के नीचे देवी की प्रतिक मानकर पेड़ के नीचे पूजा करते थे कन्हैया बरिहा इस पेड़ के नीचे पूजा करता था राम लाल बरिहा जी ने समाज को एक सूत्र में बांधने के लिए लोगों को जोड़ना शुरू किए और उनकी मनसा के अनुरूप समाज आगे आया और राम लाल बरिहा जी ने मंदिर निर्माण के लिए नीव रखा । यह मंदिर 8 माह 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था । निवृत शिक्षक राम लाल बरिहा के पुत्र आनंद बरिहा बताते हैं की मेरे पिता जी ने समाज को एक सूत्र में पिरोने के लिए अपना पूरा योगदान दिया तब आज यह स्थल बिंझवार समाज की आस्था का केंद्र के रूप में पहचाना जा रहा है पिछले 7 वर्ष पहले मंदिर का निर्माण हुआ है जिसमें सभी वर्ग ने सहयोग कर अपना योगदान दिया है ।
