संपादकीयसारंगढ़ - बिलाईगढ़साहित्‍य

साहित्य/शोध ललित कलाओ के धनी साहित्यकार गौतम सिंह पटेल

लोक मंगल का विधान करने वाली ललित कला साहित्य कहलाती है। किसी भी सभ्य समाज के सांस्कृतिक स्तर का अनुमान उसके साहित्य के स्तर से लगाया जा सकता है। साहित्य न केवल समाज का दर्पण होता है बल्कि वह उस दीपक की तरह होता है जो समाज को उसकी बुराईओ की ओर ध्यान दिलाता है तथा आदर्श समाज के रूप प्रस्तुत करता है। आज मानव समाज मे साहित्य का बहुत महत्व है यही एक जरिया है जिसमे मानव मस्तीष्क का विकास क्रम तथा मानवीय भावनाओ का परिचय मिलता है। परोक्ष रूप से साहित्य मानव सभ्यता के विकास का सूचक भी है। साहित्य और समाज का गहरा संबंध होता है।

साहित्यकार समाज मे रहकर ही साहित्य का सृजन करता है इसलिए साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है और मूल्यांकन /आलोचना समाज के इस दर्पण के परीक्षण का एक माध्यम है। एक आलोचक साहित्य कृतियों का मूल्यांकन करता है। आज के मशीनी युग मे सभी पढ़े लिखें लोग मीडिया से जुड़े है। खुद को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने के लिए मीडिया से विभिन्न जानकारिया एकत्रित कर खुद को बेहतर साबित कर रहें है। आज के दौर मे लेखक अपने बंद कमरे मे बैठकर अपने विचारों का सांझा नेट से उकेर कर कलम्बद्ध करने मे लगा है साहित्य पाठको के द्वारा अवलोकन किया जाता है तभी पुस्तकों का महत्व सामने आता है। वास्तव मे पाठक ही सबसे पहले किसी भी कृति का आवलोकनकर्ता हो सकता है। एक आलोचक द्वारा ही किसी कृति मे निहित गुण दोषों का विवेचन हो सकता है। तो आइये पटेल जी से रूबरू होते है।

जीवन परिचय- पान पालगी की नगरी सारंगढ़ से रायपुर राजमार्ग पर महज 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सालर गाँव के सुप्रसिद्ध साहित्यकार गौतमसिंह पटेल जी से। गौतम सिंह पटेल जी का जन्म – बारह अक्टूबर सन उन्नीस सौ अड़तालिस को सालर ग्राम के गौटिया परिवार मे हुआ। इनके पिता स्व. श्री चैतराम पटेल माताजी का नाम स्व. श्रीमती श्यामा देवी पटेल है। इनकी धरमपत्नी श्रीमती छाया देवी पटेल जी है। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा शासकीय प्राथमिक शाला सालर मे हुई। उच्च शिक्षा दुर्गा कालेज रायपुर से सन 1973 मे एम. ए.अर्थशास्त्र से उत्तीर्ण हुए। इसके अलावा संगीत मे स्नातक, पत्रकारिता मे स्नातक, बी. जे. कोविद, ज्योतिर्विद मे राष्ट्र स्तर पर बहुत चर्चित व्यक्ति है।

सम्मान:- हिंदी साहित्य के क्षेत्र मे अपनी महती योगदान के लिए राष्ट्र भाषा सेवक सम्मान। विश्व भारती हिंदी सम्मान। साहित्य रत्न अवार्ड बेस्ट राइटर। भारतेन्दु हरिश्चंद्र हिंदी सेवी सम्मान। गीता शोध पत्र हेतु प्रशस्थी पत्र।

अन्य सम्मान:- -ज्योतिष के क्षेत्र मे लेखन, शोध और समाज सम्मान। ज्योतिष मर्मज्ञ की उपाधि से छ: बार अलंकृत हो चुके है। गौतम पटेल जी राजस्व निरीक्षक के पद पर भू -अभिलेख शाखा मंत्रालय रायपुर से सेवा निवृत्त हुए है। साथ ही लेखकीय कार्य मे विशेष रूचि है। अभी तक इनकी 250 से भी अधिक लेख, आलेख पत्र पत्रिकाओं मे प्रकाशित हो चुकी है। तथा 18 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है इनकी अगली कृति 2024 तक प्रकाशित होने की संभावना है।

पटेल जी की पहली रचना दलित विमर्श है, जिसमे डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के उपर “भीमराव अछूतो का कल्याण ही जिनका चरम लक्ष्य था” का प्रकाशन 14 अप्रैल सन 1990 को नवभारत रायपुर से प्रकाशित हुआ था।

आप सभी को बताना चाहूंगी की पटेल जी ज्योतिष गुण विधाओं, धर्म शास्त्रीय सिद्धांतो की तार्किक, व्याख्या,निबंधात्मक व शोधात्मक रचनाओं के लिए जाने जाते है। साथ ही इनकी सभी कृतियों मे अपनी वैज्ञानिक विचार धारा,ललित कलाओ का सुन्दर प्रयोग करते हुए मानव समाज हेतु सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनैतिक, राष्ट्रीयता,नारी चेतना, युवाओ के लिए प्रेरणा स्त्रोत सभी विषयो को ध्यान मे रखते हुए समाज को अच्छा सन्देश देने का प्रयास किया गया है। पटेल जी के हिंदी साहित्य के क्षेत्र मे विशिष्ट योगदान को देखते हुए इनके उपर शोध कार्य भी प्रारम्भ हो चुकी है। सारंगढ़ -बिलाईगढ़ जिलांचल के सारंगढ़ अंचल को राष्ट्र स्तर पर हिंदी साहित्य के क्षेत्र पर विशेष पहचान प्राप्त हुई है। इस उपलब्धि के लिए साहित्यकार गौतम पटेल जी को बहुत बहुत बधाई एवम शुभकामनायें।

श्रीमती पुष्पा बरिहा

शोध छात्रा (हिंदी विभाग ) कलिंगा विश्वविद्यालय

नया रायपुर, छत्तीसगढ़ ( भारत )

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