सारंगढ़। ढाबों में अवैध तरीके से बैठा कर पिलाने की व्यवस्था कर रोजाना हजारों रुपए की कमाई की जा रही है।
सारंगढ़ के नेशनल हाइवे पर ढाबों में संचालकों द्वारा बेखौफ शराब पिलाने की व्यवस्था है। इतना ही नहीं ढाबा संचालकों के द्वारा मदिरा प्रेमियों को शराब पिलाई जा रही है। बता दें ऐसे घटनाएं आबकारी और पुलिस विभाग की निष्क्रियता को दर्शाती है। बता दें कि इन ढाबा संचालकों के द्वारा मदिरा प्रेमियों के बैठने, खाने-पीने की अलग से व्यवस्था बनाई गई है।
दरअसल, नेशनल हाइवे पर स्थित इन ढाबों में शराब की बिक्री भी की जाती है एक पाव रॉयल चैलेन्ज जिसकी कीमत 200 है उसको बकायादा 280 से 300 में बेचीं जाती है 80 ₹ में मिलने वाली देशी प्लेन को 120 ₹ में खुलेआम ना सिर्फ बेचीं जाती है बल्कि उनको ढाबों में ही अवैध तरीके से बैठाकर पिलाने की व्यवस्था कर रोजाना हजारों रुपए की कमाई शराब के साथ में खाने पीने और चखने को बेचकर की जा रही है। ढाबों में हर रोज रात का माहौल देखने लायक रहता है। बिना किसी खौफ के सड़क के दोनों किनारे पर सभ्रांत परिवार के लोग और कुछ सफेदपोश जनप्रतिनिधियों की बड़ी-बड़ी दर्जनों गाड़ियां लाइन से खड़ी रहती हैं और ढाबों में जाम से जाम टकराए जाते है। ये सिलसिला देर रात बारह बजे के बाद तक चलते रहता है।
आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन नहीं ले रहा कोई एक्शन
ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी आबकारी विभाग या पुलिस प्रशासन को नही है, लेकिन कुछ स्वार्थ और कुछ राजनैतिक संरक्षण के कारण रसूखदार ढाबा संचालकों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है, जिसके कारण आस-पास के रहवासियों और ग्रामीणों में आक्रोश है। वहीं सड़क के दोनों किनारे पर गाड़ियां खड़ी हो जाने के कारण दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ जाती है। इस संबंध में कुछ लोगों ने मीडिया को प्रमाणित वीडियो भी भेजा है, जिसमें खुले आम ढाबे में बैठकर शराब बेचते और पीते लोग साफ साफ नजर आ रहे है।
ऊपर तक पहुंचाए जा रहे लिफाफे?
गाँव गाँव पहुंचकर मुखबिर के नाम से आम लोगों के घर तक दबिश देने वाले वर्दीधारियों को ढाबों में शराब बेचने और पिलाने की जानकारी ना हो ऐसा संभव ही नहीं है! सूत्रों की माने तो संचालको द्वारा पैसे की चढ़ावा प्रति माह भेजा जाता है जिसके एवज में ये जिम्मेदार आँख में पट्टी लगाकर जनता को बर्बाद करने का खुलेआम लाइसेंस देने में भी गुरेज नहीं करते? पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारी को भी ग्रामीणों और आसपास के रहवासियों के कहने पर कार्यवाही के लिए निवेदन भी किया गया था। इसके बावजूद पुलिस और आबकारी विभाग द्वारा आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिससे साफ स्पष्ट होता है कि ढाबा, होटल संचालकों को शराब पिलाने का अघोषित लाइसेंस पुलिस और आबकारी विभाग के द्वारा दिया गया है। इस संबंध में नाम ना छपने की शर्त में कुछ लोगों ने दबी जुबान में बताया कि संचालकों द्वारा लिफाफे ऊपर तक पहुंचाए जाते हैं।
अवैध शराब पर सबसे सख्त पुलिस अधीक्षक को नहीं है जानकारी –
सारंगढ़ बिलाईगढ़ में अब तक पदस्त सभी पुलिस कप्तानों में अवैध शराब पर सबसे सख्त पुलिस अधीक्षक आंजनेय वार्ष्णेय ने पदभार संभालते ही जिस तरह से अवैध शराब माफियाओं पर कार्रवाई के कठोर निर्देश देकर अलग अलग टीम गठित कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे उसमे शराब माफियाओं के द्वारा प्रति महीना लिफाफा प्राप्त करने वाले कुछ वर्दीधारियों की नींद उड़ गयी थी। एसपी के आदेश पर जिस तरह ताबड़तोड़ कार्रवाई पुलिस और आबकारी द्वारा की गई वो अभूतपूर्व थी। सारंगढ़ के आम जन से लेकर समाजसेवीयों के मन में शराब मुक्त सारंगढ़ के सुनहरे सपने दिखने लगे थे लेकिन! ये कार्रवाई सिर्फ ग्रामीण इलाकों तक सीमित हो गई एवं एसपी साहब को दिखाने के लिए एक दो कार्रवाई कर खुद की पीठ थप थपाने वाले कानून का हाथ ढाबों और राजनितिक रसूखदारों तक नहीं पहुंच पाई।
नतीजन गाँव में शराब ना मिलने के कारण ये ढाबा संचालक मनमाने रेट में ना सिर्फ शराब बिक्री कर रहे हैं बल्कि शराब के साथ के साथ बार की तर्ज पर बिठाकर पिलाने की सुविधा भी उपलब्ध करा रहे हैं। जिसका संज्ञान तक पुलिस कप्तान को नहीं है।
किन किन राजनेताओं का मिल रहा संरक्षण?
स्थानीय लोगों की माने तो पुलिस एवं आबकारी द्वारा कार्रवाई ना करने की दो वजह हो सकती है! या तो भरपूर चढ़ावा मिलना या राजनैतिक संरक्षण? सबसे बड़ा सवाल जनता और मीडिया का ये है कि जिस सारंगढ़ को भाजपा ने नशा मुक्त बनाने हेतु मुख्य मुद्दा विगत 6 वर्षो से बनाते आ रही है और जबकि आज प्रदेश में भाजपा की सरकार है फिर सारंगढ़ में ऐसा कौन नेता है जो इन अवैध शराब माफिया नुमा ढाबा संचालकों को अपना संरक्षण दे रहा है जिसकी जानकारी जनता के साथ मीडिया कर्मी भी पता लगाने प्रयासरत हैं!
