जांजगीर-चांपा

लखपति बनी चारपारा गौठान की जय महामाया समूह की दीदियां

वर्मी कंपोस्ट से लाभांश के रूप में मिले 3लाख 68हजार 664 रुपए, सब्जी बाड़ी से 2 लाख 35हजार 600 की आय की अर्जित

जांजगीर चांपा। चारपारा गौठान की जय महामाया स्व सहायता समूह की दीदियां अपनी कड़ी मेहनत के बल पर लखपति दीदियां बनकर उभरी है और उन्हें लखपति बनाया है गौठान में गोबर से वर्मी कंपोस्ट के निर्माण ने। लखपति बनने के पीछे समूह की दीदियों का आत्मविश्वास और कार्य को लेकर लगन रही है।

उन्होंने वर्मी कंपोस्ट के लाभांश के रूप में 3 लाख 68 हजार 664 रुपए और सब्जी बाड़ी से 2लाख 35हजार 600 रुपए की आय अर्जित हुई। समूह की महिलाओं का कहना है कि छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर रही है।जिले के जनपद पंचायत बलौदा के ग्राम पंचायत चारपारा में जय महामाया स्व सहायता समूह की महिलाएं गौठान में गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाने का कार्य कर रही है। समूह की महिलाओं को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान से सीआईएफ की राशि 60 हजार आरएफ की राशि 15 हजार एवं बैंक लिंकेज से 1.50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की गई, ताकि समूह का संचालन दीदियां अच्छे से कर सके।

अध्यक्ष श्रीमती कुमारी बाई साहू ने बताया कि गोधन न्याय योजना से गौठान में गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाने का कार्य शुरू किया। शुरुआती मेहनत और कुशल प्रशिक्षण मिलने से कार्य करना आसान हो गया। गोबर से 868.80 क्विंटल खाद का उत्पादन किया और 828.91 क्विंटल खाद का विक्रय करते हुए 3 लाख 68हजार 664 रुपए की आय अर्जित की। समूह की महिलाएं यही नहीं रुकी बल्कि उन्होंने गौठान में चारागाह क्षेत्र की जमीन पर सब्जी भाजी लगाना शुरू कर दिया। उनकी मेहनत रंग लाई और समूह ने बाड़ी में भिंडी, बेंगन, झुंगा, करेला, टमाटर, धनिया और कई प्रकार की सब्जियों का उत्पादन किया। सब्जियों को स्थानीय बाजार में बेचकर समूह की दीदियों ने 2 लाख 35 हजार 600 की आय अर्जित की। इस तरह से समूह की महिलाओं गांव में लखपति दीदियों के नाम से पहचानी जाने लगी।

गौठान से जुड़ा राधा समूह

गौठान में वर्मी कंपोस्ट एवं सब्जी उत्पादन करने वाली महिलाओं की तरक्की देखकर राधा एवं सीता महिला स्व सहायता समूह आजीविका गतिविधियों से जुड़ गया। राधा समूह की अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला कंवर बताती है गौठान में मुर्गीपालन का कार्य एन आर एल एम योजना से मिली सहायता राशि से शुरू किया। बाजार से मुर्गी के चूज़े खरीदकर, बेहतर देखभाल करते हुए पालन पोषण किया, बड़े होने पर मुर्गियों को बाजार में बेचकर 2 लाख 76 हजार रुपए आय प्राप्त हुई। जिससे समूह को 14 हजार 400 रुपए का लाभ मिला। इसी गौठान में सीता महिला स्व सहायता समूह द्वारा मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू किया जा रहा है जिससे उन्हें बेहतर आमदनी की उम्मीद है।

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