रायगढ़

सुषमा खलखो की दावेदारी को दरकिनार करना भाजपा के लिए कितना मुमकिन !

रायगढ़. भाजपा के लिए सेफ सीट मानी जाने वाली रायगढ़ लोकसभा सीट के दावेदारों में फंसा पेंच रायगढ़ लोकसभा सीट से इस बार इस उम्मीदवार चयन में काफी उलझन है क्योंकि दावेदारों की फेहरिस्त और समय के साथ बदलते समीकरणों ने पुराने फॉर्मूलों को धता बता दिया है। किसी ने सोचा नहीं था कि लगातार चार बार के सांसद और तत्कालीन केंद्रीय राज्यमंत्री विष्णुदेव साय की भाजपा टिकट काट सकती है। सीटिंग एमपी गोमती साय को विधानसभा में उतारकर पद खाली करा देना।

रायगढ़ सीट को भाजपा के लिए सेफ बनाने में जशपुर राजघराने का बहुत बड़ा योगदान है। बीते दो चुनावों से पहले जशपुर से ही लोकसभा में भाजपा को लीड मिलती थी पर अब लीड रायगढ़ जिले से भी मिल रही है। विधानसभा चुनाव के नतीजे इस बार चौकाने वाले आए लोकसभा में जशपुर से आने वाली तीनों सीटों पर भाजपा तो रायगढ़ की एक सीट पर भाजपा है। यह माना जाता है कि जिसे जशपुर घराने का आशीर्वाद मिलता है उसके लिए टिकट की राह आसान हो जाती है।

टिकट आबंटन में जातिगत समीकरण इस बार काफी मायने रखेगा। आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट में कंवर के बाद गोंड और उसके बाद उरांव वर्ग के लोगों की बहुलता है। रायगढ़ लोकसभा से कंवर जाति के विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बना दिया गया है, गोंड जाति से आने वाले राजा देंवेंद्र बहादुर सिंह को राज्यसभा का सांसद बना दिया गया है। अब उरांव जाति से प्रतिनिधि के लिए संभवत: जगह खाली है। एक ओर जशपुर के जो हिस्से रायगढ़ विधानसभा में आते हैं वहां उरांव जाति के लोगों की बहुलता है और सबसे ज्यादा कनवर्टेड ईसाई उरांव समाज से ही है। दूसरी ओर रायगढ़ को हिंदुत्व की प्रयोगशाला माना जाता है ऑपरेशन घर वापसी कोर एजेंडा है। 33 प्रतिशत महिला आरक्षण की भाजपा पैरोकार है।

भाजपा में कुछ भी संभव है वह अप्रत्याशित फैसलों के लिए ही जानी जाती है। भारतीय जनता पार्टी ही एकमात्र पार्टी है जो अपने कार्यकर्ताओं के मेहनत का फल देती है। कभी-कभार देर हो जाती है पर संगठन में मेहनत जाया नहीं जाती। 48 साल की सुषमा खलखो 25 साल से भाजपा संगठन की राजनीति करती आ रही हैं। वह भाजपा के सभी गुटों की प्रिय हैं और किसी से उनका रार नहीं है। संगठन की राजनीति पर ही वह भरोसा दिखाती हैं। इस बार उन्होंने रायगढ़ लोकसभा से टिकट मांगा है। इससे पहले उन्होंने पार्टी से कुछ नहीं मांगा। उन्हें विश्वास है कि इस बार रायगढ़ लोकसभा सीट से उन्हें टिकिट मिलेगी।

उन्होंने भाजपा के प्रदेश स्तरीय सभी संबंधित जिम्मेदारों के समक्ष अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है। सुषमा जशपुर की बेटी हैं और कुनकुरी की बहू हैं। रायगढ़ उनका कर्मक्षेत्र रहा है। लैलूंगा में उनका जबरदस्त जनाधार है। 2023 के विधानसभा चुनाव में जब उन्हें विधायकी की टिकट नहीं मिली तो लैलूंगा के भाजपा कार्यकर्ता फूट-फूटकर रोने लगे थे। भाजपा यह सीट हार गई।

खैर, बात करें रायगढ़ लोकसभा से सुषमा की दावेदारी की तो उरांव जाति से तालुल्क रखने वाली सुषमा 2015 से 2021 तक भाजपा महिला मोर्चा जशपुर की प्रभारी रह चुकीं है। वह लगातार दो बार उर्दना से जनपद पंचायत सदस्य रह चुकी हैं फिर बाद में यह क्षेत्र नगर निगम में आ गया। वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष होने के साथ ही रायपुर शहर महिला भाजपा मोर्चा की जिला प्रभारी और सर्व आदिवासी समाज रायगढ़ की जिला उपाध्यक्ष हैं। कुल मिलाकर यह कहा जाए तो सुषमा खलको किसी पहचान की मोहताज नहीं है। स्वच्छ और साफ सुथरी संगठन की राजनीति करने वाली सुषमा खलको की राजनीतिक यात्रा चुनौतीपूर्ण रही है। फिर चाहे वह केलो डेम से प्रभावित गांवों के लिए उचित मुआवजा और पुर्नवास के लिए अपनी ही पार्टी से भिड़ जाना हो या फिर ग्रामों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाना हो। अपनी लूना से घर-घर तक पहुंचने वाली सुषमा ने नारी सशक्तिकरण को लेकर खूब काम किया है। 25 साल पार्टी में विभिन्न पदों पर रहीं उनके कामों की मुक्कमल लिस्ट है जिसे बताने की फिलवक्त कोई जरूरत नहीं है।

सवाल आमजन में है कि अब क्या सुषमा खलखो को उनकी इस मेहनत का फल मिल पाएगा या नहीं। सुषमा को लेकर भाजपा में कोई दो राय नहीं है सुषमा का काम बोलता है और उनकी मेहनत हर बार दिखती है। हां, कुछ लोग उनके ईसाई होने का यदा-कदा जिक्र कर देते हैं पर सनद रहें, भाजपा संगठन हमेशा किसी न किसी बहाने से एक मिसाल पेश ही कर देती है। सुषमा के बारे में सभी यह जानते हैं कि वह सर्व-धर्म समभाव पर भरोसा करती हैं। उनके घर के आंगन में हनुमान जी की मूर्ति है तो घर के अंदर श्रीगणेश की प्रतिमा। घर के ठीक सामने हनुमान मंदिर में हर साल महावीर जयंती धूमधाम से मनाती हैं। रामनामी सप्ताह हो या कलश यात्रा वह स्वस्फूर्त सभी में शामिल होती हैं।

अपने धर्म को लेकर सवाल उठाने वालों पर सुषमा कहती हैं कि हिंदुस्तान में जन्मीं हूं तो हिंदू हूं। राजनीति में कोई धर्म नहीं होता, मानवता ही मेरा एकमात्र धर्म है। मेरे धर्म को लेकर टिप्पणी करने वाले को पहले मेरे बारे जान लेना चाहिए कि मेरा धर्मों के प्रति क्या नजरिया है, कैसी मान्यता है। मैं हर धर्म को मानती हूं। रामनवमीं, हवन पूजन,सुंदरकांड, सभी को मानती हूं, व्रत रखती हूं, हमेशा हनुमान चालीसा रखती हूं, यह मेरी आस्था का विषय है जो कि नितांत निजी है मैं इसका प्रदर्शन क्यों करूं। भगवान उन लोगों को सद्बुद्धि दे जो मुझ पर सवाल उठाते हैं। सभी धर्म शांति का ही संदेश देते हैं। मानवता को सबसे बड़ा धर्म मानती हूं।

ईसाई वर्ग में है जबरदस्त पकड़
अमूमन यह माना जाता है कि ईसाई धर्म के वोटर कांग्रेस के कोर वोटर हैं। पर उनके भीतर भाजपा के प्रति संवेदना और उनके कार्य कर के उन्हें भाजपा की तरफ मोड़ने का कार्य सुषमा खलखो ने खूब किया है। उनके हर सुख-दुख और जरूरत में सुषमा हमेशा खड़ी रहती हैं। सभी धर्मों के सम्मान के बावजूद वह ईसाई धर्म को मानती हैं। ऐसे में रायगढ़ लोकसभा के करीब 18.30 लाख वोटर्स में से 3 लाख ईसाई वोटर्स आसानी से सुषमा की ओर रुख कर सकते हैं। भाजपा संगठन इस बात को नजर अंदाज नहीं कर सकती, संभव है इसी समीकरण के बूते वह कोई नजीर पेश कर दे।

पिछलग्गू नहीं संगठन पर भरोसा
सुषमा खलको को किसी गुट से नहीं जोड़ा जा सकता है क्योंकि जिन्होंने उन्हें आगे बढ़ाने में मदद की वह एक बारी संगठन के खिलाफ गए तो सुषमा संगठन में रही और काफी दबाव में भी संगठन की राजनीति और अपना दायित्व निभाती रही। रायगढ़ भाजपा में आगे बढ़ने के लिए किसी एक बड़े नेता का पिछलग्गू बनने का ट्रिक है पर सुषमा ने इसे कभी नहीं माना। वह किसी एक नेता का पिछलग्गू बनकर आगे बढ़ने पर विश्वास नहीं रखती इसी कारण दबे ही जुबां से पर सभी धड़ों से सुषमा को लेकर यही निकलता है कि संगठन की नेता है।

सुषमा का नाम अंतिम तीन में, कद नीचा करने की ओछी रणनीति शुरू
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रायगढ़ लोकसभा के भाजपा दावेदारों की अंतिम 3 सूची में सुषमा खलखो, गेंदबिहारी सिंह और आरपी साय का नाम है। सुषमा से खार खाने वाले कुछ नेताओं ने उनके कद को नीचा करने की ओछी राजनीति करना शुरू कर दिया है। उन्हें इसका कोई रंज नहीं है वह आम कार्यकर्ता बने रहने में खुश है। वह अपनी लाइन पर चलने वाली कार्यकर्ता हैं उनके पास और बहुत से कार्य हैं।

जब खाने को नहीं था अनाज
जशपुर के लोदाम के गिरला गांव में पैदा हुई सुषमा खलखो का बचपन बहुत गरीबी में बीता। उनके घर में खाने को अनाज नहीं होता, जंगल के कंदमूल पर परिवार निर्भर रहता। नमक के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ता। जंगल के अंदर जाकर खुखड़ी (मशरूम) लाने के बाद कुछ की खाने की व्यवस्था हो पाती। कई बार तो वह परिवार समेत भूखा सोई। समय बदला परिस्थिती बदली। 26 साल का बेटा फ्रांसिस और 22 साल की बेटी अरूणा दोनों रायपुर में सेटल हैं। पति एरमन खलको उर्दना बटालियन में डिप्टी कमांडेट हैं जिन्हें राष्ट्रपति ने पुलिस वीरता पदक से सम्मानित किया है। पति सुषमा के ऊर्जा और प्रेरणा स्त्रोत हैं। अच्छी राजनीति करने की प्रेरणा उन्हें पति से ही मिलती है। सुषमा भूख और गरीबी को करीब से जानती हैं वह मानवीय मूल्यों का अर्थ समझती हैं जो उन्हें एक संवेदनशील नेत्री बनाता है यह उनका मौलिक गुण हैं जिसमें कोई लाग-लपेट नहीं है। इस कारण रायगढ़ सीट से उनकी दावेदारी और पक्की हो जाती है।

हर कार्यकर्ता को अपनी बात रखने का अधिकार: उमेश अग्रवाल
जिला भाजपा अध्यक्ष उमेश अग्रवाल कहते हैं कि भाजपा एकमात्र ऐसी राजनीतिक पार्टी है जहां एक चायवाला देश का प्रधानमंत्री बन जाता हैं। पार्टी के हर एक कार्यकर्ता को अपनी बात रखने का अधिकार है। संगठन ही उम्मीदवार तय करती है। जिस किसी को भी टिकट मिले भाजपा का हर एक कार्यकर्ता उसे चुनाव जिताने में जुट जाता है। रायगढ़ लोकसभा से सुषमा खलखो, आरपी साय, राधेश्याम राठिया, सत्यानंद राठिया ने अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है। भाजपा संगठित है और लोकसभा चुनाव को लेकर बूथ लेवल पर तैयारियां जारी हैं।

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