जीते जी करते रहे धार्मिक कट्टरता का विरोध
रायगढ़ । पूरे जीवन सदैव धार्मिक कट्टरता का विरोध करने वाले तारिक फतेह साहेब के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जिला भाजपा अध्यक्ष उमेश अग्रवाल ने कहा वे सच्चे सनातनी थे और इस संक्रमण काल में देश को आप जैसे विचार वान व्यक्ति की अधिक जरूरत थी। ऐसे समय में आपका निधन समाज, भारत और भारतवाद का बड़ा नुकसान है। खुद को सच्चा हिन्दुस्तानी मानने वाले लेखक तारिक फतेह विभाजन की विडम्बनाओं पर निरंतर पांच दशकों तक मुखर रहे। वे सदा धार्मिक कट्टरता का विरोध करते रहे। इस्लाम की विसंगतियों पर उनकी किताबें बहुचर्चित हुईं। पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक और स्तंभकार तारिक फतेह का निधन देश के अपूर्णीय क्षति है।
पंजाब के शेर, हिन्दुस्तान का बेटे, कनाडा का प्रेमी, सत्य के वक्ता और न्याय के योद्धा का निधन हो गया है। उनकी क्रांति उन लोगों के लिए आगे भी जारी रहेगी, जो उन्हें जानते थे और प्यार करते थे।’ पाकिस्तान के एक मुस्लिम परिवार में जन्मे तारिक भारत विभाजन के बाद मुंबई से राची पाकिस्तान चले गए। उन्होने जैव रसायन में कराची विश्वविद्यालय से डिग्री के साथ स्नातक किया। वह 1960 और 1970 के दशक में एक वामपंथी छात्र नेता थे।। सैन्य शासन द्वारा उन्हें दो बार कैद किया गया था। 1977 में जिया−उल− हक शासन द्वारा उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। उनके पत्रकारिता करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
वह कुछ समय सऊदी अरब में रहे। 1987 में कनाड़ा जाकर बस गए। उन्होंने जमकर शरिया कानून का विरोध किया। इस्लाम के एक उदार और प्रगतिशील विचारों की वकालत की। उन्होंने खुद को “पाकिस्तान में पैदा हुआ एक भारतीय” और “इस्लाम में पैदा हुआ एक पंजाबी” कहा। वे पाकिस्तानी धार्मिक और राजनैतिक प्रतिष्ठान के मुखर आलोचक थे। वह कनाड़ा के टोरटों रेडियो स्टेशन के प्रसारक रहे। जॉन मूर मार्निग शो के नियमित योगदान कर्ता रहे। 2011 से 2015 तक तारिक फतेह शो की मेजबानी की। 2012 के बाद कनाडा के अखबार टोरटों सन के लिए नियमित कालम लिखा।
