रायगढ़

Raigarhnews; पारंपरिक मुर्गी पालन बना व्यवसाय महिलाएं हो रही आर्थिक रूप से संबल

गोठान के निर्माण से बढ़े आजीविका के साधन, लाभ को देखते हुए वृहद स्तर में मुर्गी पालन की बना रहे कार्ययोजना

रायगढ़. प्राय: ग्रामीण अंचल में पशुपालन, मुर्गी पालन को पारंपरिक तौर पर किया जाता है, जिसका कोई व्यवसायिक उद्देश्य नहीं होता, यह स्वयं के उपभोग तक सीमित रहता है, लिहाजा जिससे उनका काम तो हो जाता है लेकिन उससे उन्हें किसी प्रकार की आय अर्जित नही होती। लेकिन गोठान के निर्माण से अब मुर्गी पालन भी व्यवसायिक रूप में किए जाने लगा है। जिससे महिलाओं की आर्थिक स्तर में सुधार होने लगा है।राज्य शासन की महत्वपूर्ण सुराजी गांव योजना आज ग्रामीणों के आय संवर्धन के साथ उनके परंपरागत कार्य पशु पालन को व्यवसाय के रूप में विकसित कर उन्हें आर्थिक रूप से संबल बनाने का कार्य कर रही है। जिसके तहत ग्रामीण महिला एवं युवा जो पारंपरिक व्यवसाय अथवा पशु पालन करना चाहते है उनको सर्व सुविधायुक्त गोठान में जगह प्रदान कर उन्हें स्थायी व्यवसाय मुहैय्या करा रही है। जिससे ग्रामीण ऐसे स्थानों में बड़ी आसानी से अपने कार्यों को करते हुए उत्पादन निर्माण व विक्रय कर अच्छी आय अर्जित कर रहे है।

इसी प्रकार विकासखंड खरसिया का ग्राम नगोई गोठान है, जहां कबीर महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं घरों में की जाने वाली छोटे स्तर के मुर्गी पालन को अब गोठान में कर अच्छी आय अर्जित करते हुए शुरुआती दौर में 30 हजार से अधिक अर्जित कर चुकी है। अब वृहद स्तर में करने की कोशिश कर रही है और वे काफी हद तक सफल भी हो चुकी है। उनके मेहनत का रंग दिखने लगा है और माह में अच्छी खासी आय अर्जित कर रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुर्गी पालन के लिए अब तक एक ही शेड था, लेकिन अब दूसरा शेड बनाया जा चुका है, ताकि पर्याप्त मात्रा में चूजे रखकर ज्यादा लाभ अर्जित कर सके।

समूह में श्रीमती दिव्या चौहान, श्रीमती रूखमणी चौहान एवं लक्ष्मी चौहान काम करती है। उन्होंने बताया की गोठान में शासन द्वारा सर्वसुविधायुक्त मुर्गी शेड बनने से मुर्गी पालन में आसानी हो गई, जो पहले तक केवल बाड़ी व घरों तक सीमित था। उन्होंने प्रारंभिक दौर में कम और थोड़े बड़े मुर्गियों से कार्य प्रारंभ किए जिससे लाभ तो होता था लेकिन कम, समूह ने इस लाभ को बढ़ाने के लिए मुर्गी विक्रय के पैसे को व्यवसाय में लगाने लगी है। उन्होंने बताया की 1500 चूजे रखने से लगभग 40 दिनो में तकरीबन 90 हजार से एक लाख तक की कमाई हो जाती है, इसको ध्यान में रखकर वृहद कार्ययोजना बनाया जा रहा है, जिसके लिए उन्हें एक और शेड बनाया ताकि चूजे खरीद कर उन्हें बेचकर ज्यादा लाभ कमाया जा सके। वर्तमान में गर्मियों के कारण उन्होंने 250-300 तक मुर्गियां रखी हुई है।

स्थानीय बाजारों के व्यवसायी है नियमित ग्राहक. समूह की सदस्यों ने बताया की गोठान में मुर्गी पालन से उन्हें लाभ हो रहा है, नगोई से लगभग 8-10 कि.मी. तक के लोग मुर्गी खरीदने आते है। इसके साथ ही थोक व्यापारियों के अलावा स्थानीय बाजारों के दिन मांग बढ़ जाती है। इस मांग को पूर्ति करने के लिए अब चूजों के लिए अलग शेड की व्यवस्था की है, ताकि चूजे और मुर्गियां रखने में दिक्कत न हो और चूजा पालने से लाभ भी अधिक होगा। समूह की सदस्य बताती है कि आजीविका के बढऩे से उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है।

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