रायगढ़

चक्रधर समारोह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक समृद्धि की कलात्मक अभिव्यक्ति – सुनील रामदास

रायगढ़. वरिष्ठ भापजा कार्यकर्ता और रामदास द्रौपदी फाउंडेशन के चेयरमैन सुनील रामदास ने चक्रधर समारोह को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर के प्रचार-प्रसार को एक महत्वपूर्ण पहल मानते हुए जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रयासों की सराहना की। साथ ही नगर में आने वाले कला प्रेमियों और कलाकारों का स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि आयोजन हर बार से कुछ कम दिवस का हो रहा है, किन्तु यह प्रयास निरंतर चलते रहना आवश्यक है। क्योंकि कला मानव जीवन में संवेदना को बढ़ाने का सामाजिक उपकरण है। इसलिए इसका महत्त्व समाज में बहुत अधिक होता है। संवेदना मनुष्य को मानव बनाए रखने में एक सहायक उपकरण है, जो कि समाज में प्रेम और संबंध बनाए रखने का कार्य करता है।

पर्यावरण एवं समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले शसक्त हस्ताक्षर सुनील रामदास ने चक्रधर समारोह को रेखांकित करते हुए कहा कि चक्रधर समारोह न केवल स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने में सहायक है, बल्कि युवा पीढ़ी को भी अपनी जड़ों से जोड़ने में योगदान देने वाला सांस्कृतिक उपकरण है। इस महोत्सव में हर साल हिस्सा लेने वाले कलाकार और कला प्रेमियों की बढ़ती संख्या से इसकी प्रासंगिकता और महत्व को महसूस किया जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि चक्रधर समारोह छत्तीसगढ़ की संस्कृति से पूरे भारत को परिचित करने वाला एक सांस्कृतिक उपागम है। इस समारोह ने भारत ही नहीं, अपितु विश्व के कई देशों में रायगढ़ के शास्त्रीय संगीत और कला से कला जगत को परिचित कराया है। क्योंकि इस समारोह में विश्व स्तरीय कलाकारों ने भी भाग लिया है और उनके माध्यम से यह संदेश वहां भेजने में यह समारोह सफल रहा है कि रायगढ़ एक कला और साहित्य से समृद्ध नगर है। यह समारोह दुनिया के कला जगत से रायगढ़ के कला के पृष्ठभूमि से परिचित कराता है और यहां के संस्कृति की संरक्षण और प्रसार में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देता रहा है।

इसके अतिरिक्त चक्रधर समारोह संगीत, नृत्य, गायन, वादन के क्षेत्र में प्रशिक्षण ले रहे नए कलाकारों के लिए भी बहुत बड़ा मंच है। रायगढ़ कला की नगरी है, इस कारण से यहां के नवोदित कलाकार अन्य नगरों के अपेक्षाकृत कला क्षेत्रों में अपना भविष्य अधिक तलासते हैं। इसलिए कला का वैश्विक स्तर का मंच चक्रधर समारोह की प्रासंगिकता यहां अधिक हो जाती है।

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