रायगढ़

सैनिक को मिली ज़मीन बेचने का मामला गरमाया, भाजपा छाया पार्षद अंशु टुटेजा ने लगाया पंजीयन कार्यालय और कर्मचारियों पर मिलीभगत का आरोप, जांच की मांग

रायगढ़। जिले के ग्राम खैरपुर की एक भूमि को लेकर नया विवाद सामने आया है। वार्ड क्रमांक 15 के भाजपा छाया पार्षद अंशु टुटेजा ने पुलिस अधीक्षक एवं राजस्व विभाग के अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर आरोप लगाया है कि शासन द्वारा पूर्व सैनिक को जीवन यापन के लिए प्रदत्त भूमि का अवैध रूप से पंजीयन कर बिक्री की जा रही हैं। खैरपुर स्थित खसरा नंबर 568/2, 568/6, 568/7, रकबा 2.460 हे., 0.089 हे. एवं 0.340 हे. की भूमि शासन ने पूर्व सैनिक को दी थी। यह ज़मीन सैनिक के नाम पर थी, लेकिन बिना जानकारी या अनुमति के इस भूमि का फर्जी नामांतरण करवा कर बेचने का प्रयास किया जा रहा है।

आरोप है कि इस कार्य में पंजीयन कार्यालय रायगढ़ के कुछ अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत है, जिन्होंने नियमों की अनदेखी कर भूमि का पंजीयन कर दिया और बिक्री नकल भी जारी कर दी। पूर्व सैनिकों को प्रदान की गई भूमि शासन की योजना के तहत दी जाती है और ऐसी भूमि को न बेचा जा सकता है, न ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके बावजूद पूरी प्रक्रिया बिना किसी वैधानिक अनुमति और बिना जांच के पूरी की गई, जो गंभीर समस्या है।

पूर्व सैनिक को शासन द्वारा जीवन यापन करने के लिए खैरपुर में दी गई थी जमीन जिसे कूट रचित तरीके से रायगढ़ के व्यवसाई अमित अग्रवाल पिता हनुमान अग्रवाल ने अपने नाम रजिस्ट्री करा ली,युवा भाजपा नेता अंशु टुटेजा ने आगे बताया कि रायगढ़ के खैरपुर की ज़मीन खसरा नंबर 568/2 रकबा 2.460 हे., 568/6 रकबा 0.089 हे. और 568/7 रकबा 0.340 हे. कुल 2.889 हे. की रजिस्ट्री का है।


भूमि जो सरकार ने आबंटित की थी उसे बिना पटवारी के बिक्री नकल के पंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्री करा दी गई,क्योंकि उप पंजीयक ने एकतरफा साथ दिया,22 मई 2025 को इसकी रजिस्ट्री रायगढ़ उप पंजीयक तनोज कुमार भू-आर्य ने की।
नामांतरण के लिए तहसीलदार के पास प्रकरण पहुंचा तो उन्होंने देखते ही इसे खारिज कर दिया है।तहसीलदार ने पाया कि यह भूमि पूर्व सैनिक को आवंटित हुई थी। इसको बेचने के पूर्व कलेक्टर से अनुमति लेनी जरूरी है लेकिन क्रेता-विक्रेता ने कोई अनुमति नहीं ली। यही नहीं, पटवारी ने बिक्री नकल या चौहद्दी भी नहीं दी। इसके बावजूद उप पंजीयक ने पंजीयन कर दिया।तहसीलदार रायगढ़ के पास जब नामांतरण प्रकरण पहुंचा तो उन्होंने पटवारी प्रतिवेदन मंगवाया। इसमें पता चला कि यह शासकीय भूमि है जिसे 25 अप्रैल 1967 को आवंटित किया गया था। अधिकार अभिलेख में आवंटन की पूरी जानकारी दर्ज है। 11 जुलाई को तहसीलदार ने नामांतरण निरस्त किया है। आवंटन से प्राप्त भूमि पर कलेक्टर की अनुज्ञा आवश्यक है लेकिन रजिस्ट्री में अनुमति संलग्न नहीं है।


इस पूरे मामले में अंशु टुटेजा ने एसडीएम एवं पुलिस अधीक्षक के नाम ज्ञापन सौंपते हुए उक्त मामले में मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कानूनी और विभागीय कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में शासन की योजनाओं का दुरुपयोग न हो।

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