भक्तो की पुकार पर दैत्य दानवों के संहार के लिए भगवान स्वयं धरती पर प्रकट हुए और दुष्टों का हर युग में संहार किया:स्वामी रामानुजाचार्य श्री श्रीधराचार्य जी महाराज, श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया
रायगढ़। पूर्व विधायक विजय अग्रवाल के ऐरन परिवार, एवं स्वर्गीय प्राणसुख दास जी व पूर्वजों के आशीर्वाद से द्वारा पितृ मोक्षार्थ गया श्राद्धान्तर्गत 17 से 23 सितम्बर 23 तक होटल श्रेष्ठा रायगढ में आयोजित भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है।

व्यासपीठ में आसीन अशर्फी भवन अयोध्या से पधारे श्री धराचार्य जगतगुरू स्वामी रामानुजाचार्य श्री श्री धराचार्य जी महाराज नें श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन में राजाबलि एवं भगवान वामन प्रसंग, श्री रामचरित्र श्री कृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग कथा में सुनाया। कथा वाचक श्री श्री धराचार्य जी महाराज नें श्री कृष्ण जन्म की कथा सुनायी, नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की जैसे बधाई गीतों से संगीतमय भजन सें भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बडे़ आनंद और हर्षोल्लास के साथ धुम-धाम से मनाया गया। कंस के कारागार में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि जब तब पृथ्वी पर कोई संकट आता है, दुष्टों का अत्याचार बढ़ा है तो भगवान अवतरित होकर उस संकट को दूर करते हैं।
भगवान शिव और भगवान विष्णु ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिए हैं। भक्तो की पुकार पर दैत्य दानवों के संहार के लिए भगवान स्वयं धरती पर प्रकट हुए और दुष्टों का हर युग में संहार किया। व्यासपीठ श्री श्री धराचार्य जी महाराज ने कथा के माध्यम से बताया कि हम सबके हदृय में भगवान का वास होता है जो श्री हरि हमें पाप, पाखंड, रजोगुण, तमोगुण से हमेशा दूर रखते हैं और हमें अपने चरणों की सेवा के करीब रखते हैं। साथ ही बताया कि भगवान का उन्ही लोगों के हदृय में वास होता हैं जो सत्कर्म करते हैं राजा बलि के प्रसंग का कथा सुनाते हुए जगत गुरू स्वामी रामानुजाचार्य श्री श्री धराचार्य जी महाराज ने बताया कि किस तरह कश्यप ऋषि व अदिति के पुत्र के रूप में जन्म लेकर किस तरह श्री नारायण ने राजा बलि से भिक्षा में तीन पग जमीन मांगी।

वामन अवतार का प्रसंग सुनाया
भागवत पुराण के अनुसार अत्यन्त बलशाली दैत्य राजा बलि ने इन्द्र देव को पराजित कर स्वर्ग पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद के पौत्र और दानवीर राजा होने के बावजूद, राजा बलि एक भिमानी राक्षस था। बलि अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर देवताओं और ब्राह्मणों को डराया व धमकाया करता था।अत्यन्त पराक्रमी और अजेय बलि अपने बल से स्वर्ग लोक, भू लोक तथा पाताल लोक का स्वामी बन बैठा। जब स्वर्ग से इंद्र देव का अधिकार छिन गया, तो इंद्र देव अन्य देवताओं को साथ लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे।इंद्र देव ने भगवान विष्णु को अपनी पीड़ा बताते हुए सहायता के लिए विनती की. देवताओं की ऐसी हालत देख भगवान विष्णु ने आश्वासन दिया, कि वे तीनों लोगों को राजा बलि के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए माता अदिति के गर्भ से वामन अवतार के रूप में जन्म लेंगे, जिसके बाद भगवान विष्णु ने वामन के रूप में धरती पर पांचवां अवतार लिया।

वचनबद्धता से प्रसन्न हुए वामन देव
इसके बाद भगवान वामन एक बौने ब्राह्मण के वेष में राजा बलि के पास गये और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया।उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। हालांकि गुरु शुक्राचार्य ने राजा बलि को किसी भी प्रकार के वचन देने को लेकर चेताया, लेकिन राजा बलि ने माने और ब्राह्मण पुत्र को वचन दिया, कि उनकी ये मनोकामना जरूर पूरी करेंगे। इसके बाद वामनदेव ने अपना आकार इतना बढ़ा लिया कि पहले ही कदम में पूरा भूलोक (पृथ्वी) नाप लिया, दूसरे कदम में देवलोक नाप लिया।तीसरे कदम के लिए कोई भूमि नहीं बची, लेकिन राजा बलि अपने वचन के पक्के थे, इसलिए तीसरे कदम के लिए राजा बलि ने अपना सिर झुका कर कहा, कि तीसरा कदम प्रभु यहां रखें. वामन देव राजा बलि की वचनबद्धता से अति प्रसन्न हुए. इसलिए वामन देव ने राजा बलि को पाताल लोक देने का निश्चय किया और अपना तीसरा कदम बलि के सिर पर रखा जिसके फलस्वरूप बलि पाताल लोक में पहुंच गए।
उन्होंने बताया कि श्रीमद भागवत कथा सुनने से मनुष्य के कई जन्मों के पापों का क्षय हो जाता है हमें भागवत कथा सुनने के साथ-साथ उसकी शिक्षाओं पर भी अमल करना चाहियें। उन्होंने बताया कि वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंम और अहंकार से जीवन में कुछ भी हासिल नही होता और यह धन संपदा क्षण भंगुर होती है इसलिए इस जीवन में परोपकार करों उन्होंने बताया कि अहंकार, गर्व, घृणा और ईष्र्या से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है ईषालु व्यक्ति अपने जीवन में कभी तरक्की नही कर सकता है। यदि अपना उद्धार 1चाहते हो तो परोपकार में अपना जीवन लगाओं जिससे तुम्हारा कल्याण होगा। स्वर्गीय प्राणसुख दास जी एवं पूर्वजों के आशीर्वाद से ऐरन परिवार के द्वारा पितृ मोक्ष गया श्राद्ध अंतर्गत आयोजित श्रीमद् भागवत कथा रायगढ़ के पूर्व विधायक विजय अग्रवाल के परिवार के द्वारा किया जा रहा है ।
