रायगढ़। विद्या विकास कॉन्सेप्ट स्कूल में बैसाखी का त्यौहार मना कर बच्चों को भारत की संस्कृति और सभ्यता से परिचित कराया गया. बच्चों को बताया गया कि बैसाखी का पर्व आखिर क्यों मनाया जाता है। हाल ही में खुले विद्या विकास कॉन्सेप्ट स्कूल में जेईई नीट की तैयारी कराने के अलावा बच्चों को उनकी संस्कृति, सभ्यता, इतिहास के बारे में भी विस्तृत जानकारी दिया जा रहा है।
इसी कड़ी में पंजाब और उत्तर भारत में प्रचलित बैसाखी का त्यौहार छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में भी धूमधाम से मनाया जाता है आपको बता दें कि बैसाखी का पर्व कई मायनों में बेहद ही खास होता है. ऐसा माना जाता है कि बैसाखी के दिन ही गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी…सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह ने साल 1699 में बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में खालसा पंत की नींव रखी थी. इसके अलावा, बैसाखी कृषि पर्व है. इस दिन फसल पक कर तैयार होती है. जिसके कारण चारों और खुशी का माहौल होता है. फसल पकने के इस पर्व को असम में भी मनाया जाता है. वहां इसे बिहू कहा जाता है. बंगाल में भी इसे पोइला बैसाख कहते हैं. केरल में ये पर्व विशु कहलाता है.
हिंदू धर्म में बैसाखी का खास महत्व है और इस दिन सूर्य देव मीन राशि से निकलर मेष राशि में प्रवेश करते हैं. इसलिए इसे मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. विद्या विकास कॉन्सेप्ट स्कूल में सुबह की प्रार्थना के बाद बच्चों को बोर्ड डेकोरेशन के साथ ही पंजाबी गानों पर नृत्य कराया गया और उन्हें वैशाखी पर्व की महत्ता के बारे में विशेष रुप से बताया गया. स्कूल के सभी शिक्षक भी पंजाबी संस्कृति के आधार पर पंजाबी वेशभूषा में उपस्थित हुए. स्कूल की नृत्य शिक्षिका सोमादास ने भी बच्चों के द्वारा मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति कराई. इसी बीच स्कूल की शिक्षिका कोमल अरोड़ा ने बताया कि यह दिन सभी पंजाबियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है इस दिन से कृषि के कार्य भी शुरू कर दिए जाते हैं. शाला की प्राचार्या प्रिया कपिल ने बताया कि बैसाखी का त्यौहार हमारे विद्यालय में बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया गया साथ ही नन्हे-मुन्ने बच्चों के द्वारा दी गई नृत्य प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया..
