प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के माफिया अतीक अहमद को इस बात का एहसास तो था कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में उसके दिन लदने शुरू हो जाएंगे। लेकिन हालात ऐसे आ जाएंगे कि उसको अपना धंधा न सिर्फ यूपी से समेटना पड़ेगा, बल्कि अपने धंधे में बदलाव भी करना पड़ेगा, इस बात का इल्म अतीक अहमद को बिल्कुल नहीं था। लेकिन हालात बदलने के साथ उसने न सिर्फ उत्तर प्रदेश से खुलेआम फिरौती और अपहरण जैसे धंधे से मुंह मोड़ना पड़ा, बल्कि अपने ‘सेकंड होम’ के तौर पर महाराष्ट्र, राजस्थान और जेल में बंद रहने के दौरान गुजरात में मजबूत नेटवर्क बनाना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक कभी अतीक के इशारे पर उसके गुर्गे पानी की तरह पैसा बहा देते थे। लेकिन बदले हालात में उन लोगों ने न सिर्फ अतीक को बल्कि उसके बेटों को भी तवज्जो देनी बंद कर दी थी।
अतीक अहमद की मौत के बाद ऐसे कई राज खुल रहे हैं, जो इस बात का इशारा कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में उसकी कमर टूट चुकी थी और वह आपका नेटवर्क देश के अलग-अलग राज्यों में फैला रहा था। सूत्रों के मुताबिक अतीक अहमद में अपने अपराध के धंधे में बदलाव की योजना बनाई, जब उसको इस बात का एहसास हो गया कि जेल में बंद होने के बाद शायद ही वापस निकल सके। उत्तर प्रदेश पुलिस से जुड़े एक वरिष्ठ रिटायर्ड अधिकारी बताते हैं कि अतीक अहमद उत्तर प्रदेश में फिरौती और अपहरण के साथ-साथ लोगों की जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करने के अलावा हत्या और अन्य पेशेवर अपराधियों को संरक्षण देने का धंधा इंडस्ट्री के तौर पर करता था। लेकिन योगी सरकार के बाद में जब उसको जेल हुई, तो उसने अपने अपराध के धंधे में न सिर्फ नुकसान उठाना पड़ा बल्कि उसे यह अपना पेशेवर अपराध उत्तर प्रदेश से दूसरे राज्यों में शिफ्ट करने की योजना भी बनानी पड़ी।
जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अतीक अहमद का काला कारोबार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर प्रयागराज और देश के अलग-अलग राज्यों के शहरों में फैला हुआ था। लेकिन अतीक अहमद काली कमाई उत्तर प्रदेश से ही करके इन राज्यों में अपने हाथ फैला रहा था। 2017 में उत्तर प्रदेश में जब सरकार बदली तो अतीक अहमद की मुश्किलें भी बढ़नी शुरू हुईं, जो उसकी मौत के साथ ही खत्म हुईं। सूत्र बताते हैं कि अतीक अहमद को जब गुजरात की साबरमती जेल ले जाया गया, तो उसके गुर्गों ने साबरमती और आसपास के इलाकों में अपना ठिकाना बनाना शुरू कर दिया। हालांकि साबरमती और आसपास के इलाकों में अतीक अहमद और उसके गुर्गों को वो बढ़त नहीं मिली, जो उसे उत्तर प्रदेश में मिलती थी। यही वजह रही अतीक की खातिरदारी में लगे उसके गुर्गे और कुछ बड़े व्यापारियों ने अतीक के नेटवर्क गुजरात के पड़ोसी राज्य राजस्थान में बढ़ाना शुरू किया।
