लक्ष्मी नारायण लहरे. सारंगढ़।
जिला मुख्यालय सारंगढ़ से महज 15 किलो मीटर दूर सरायपाली मुख्य मार्ग कनकबीरा में सुदूर अंचल पर आदि शक्ति विंध्यवासिनी देवी की मंदिर स्थित है। यह मंदिर बिंझवार समाज आदिवासियों की कुल देवी है ।इस मंदिर से समाज की आस्थाएं जुड़ी है जो समाज को एकता के सूत्र में पिरोकर रखी है । यहां नवरात्रि पर सुबह – शाम देवी की भजन कीर्तन के साथ पूजा अर्चना हो रही है वही पूरे 09 दिन तक यहां सुबह शाम भंडारे का आयोजन हो रहा है । देवी की मंदिर में समाज की आस्थाएं जुड़ी है वही यह जंगल के सुरम्य स्थल है पर्यटन के लिए भी महत्व रखता है ।
इस वर्ष यहां 179 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किया गया है । 09 दिन के भंडारे में विशेष सहयोग अंचल के फत्ते साय पटेल ,श्यामसाहु ,जगदीश पटेल ,रामकुमार थुरिया , किरित श्रीवास ,खीर सागर पटेल ,लक्ष्मी कांत ,घनश्याम पटेल ऐसे बहुत नाम है जो श्रद्धा के साथ मंदिर में अपनी सेवा दे रहे हैं। मंदिर में हर रोज सैकड़ों लोग भंडारे में भोजन कर रहे हैं और भक्तो की भीड़ दर्शन के लिए लग रहे हैं ।विंध्यवासिनी देवी मंदिर में आस्था और लोगों की विश्वास जुड़े है और समाज को जोड़ने में शिक्षक रहे राम लाल बरिहा का विशेष योगदान है उन्होंने समाज और आस पास के लोगों को एक सूत्र में पिरोकर नई उम्मीदें गढ़ी है जो समाज के लिए प्रशंसनीय है ।आज अगर समाज इस अंचल में जागरूक हुए है वह समाज के अग्रज राम लाल बरिहा और स्थानीय ग्राम पंचायत के योगदान महत्व रखता है ।
