रायगढ़

Raigarh News; ओपी चौधरी के पक्ष में लोक-लहर : विपक्षियों में हड़कम्प

सुनियोजित साजिश के तहत आरम्भ हुआ दुष्प्रचार अभियान, रणविजय सिंह जूदेव की तरह ही ओपी को भी भयभीत करने का रच रहे कुचक्र


raigarh news; रायगढ़ । भारतीय जनता पार्टी द्वारा खरसिया सीट से महेश साहू व धरमजयगढ़ से हरिश्चन्द्र राठिया को प्रत्याशी घोषित किये जाने के बाद रायगढ़ जिले की राजनीति में एकाएक उबाल आ गया है। बहुप्रतीक्षित खरसिया सीट की स्थिति स्पष्ट होते ही अब सर्वाधिक उत्सुकता रायगढ़ विधान सभा सीट को लेकर देखी जा रही है। भाजपा सहित कांग्रेस व मीडिया जगत की चर्चाएं अब युवा तुर्क ओ पी चौधरी पर केंद्रित हो गई है तथा इनको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।

raigarh news; अपनी जी- तोड़ मेहनत, लगातार बढ़ते कद व सतत सक्रियता के कारण ओपी चौधरी इस पूरे अंचल में भाजपाई राजनीति की धुरी बने हुए हैं। उनके अभ्युदय के बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वे किस विधान सभा सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे ? शुरू-शुरू में ओ पी चौधरी के नजदीकी सूत्रों ने उनके चंद्रपुर से चुनाव लड़ने की बात कहकर यह साफ संकेत दे दिए थे कि ओपी इस बार खरसिया से चुनाव नही लड़ने वाले हैं । फिर भी भाजपा व कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग बराबर इस चर्चा को हवा दे रहा था कि खरसिया विधायक व मंत्री उमेश पटेल से आम लोगों की नाराजगी बढ़ी है अतः इस बार ओ पी चौधरी को ही खरसिया से प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए। सुनियोजित ढंग से चलाई जा रही इस चर्चा के पीछे तथ्य कम थे और यह भय अधिक काम कर रहा था कि यदि ओ पी ने कहीं खरसिया छोड़कर रायगढ़ विधान सभा का रूख कर लिया तो भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों से विधायक बनने की लालसा पाल कर बैठे पेशेवर नेताओं के सारे समीकरण बिगड़ जाएंगे और उनके मंसूबों पर पानी फिर जाएगा। अब चूंकि खरसिया का मामला निपट गया है तो साफ तौर पर यह माना जा रहा है कि ओपी चौधरी रायगढ़ से ही भाजपा के प्रत्याशी होंगे । इस बात से भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में जहां खुशी की लहर देखी जा रही है वहीं दावेदारी की लाइन में खड़े स्वयंभू भाजपा नेताओं को सांप सूंघ गया है। इधर कांग्रेसी कैम्प में भी ओपी के नाम से हड़कम्प मचा हुआ है।

raigarh news; कांग्रेस विधायक सहित अन्य टिकटार्थियों में सुनिश्चित पराजय का भय स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पक्षों के दावेदारों का यह भय अब ओपी चौधरी के खिलाफ विष-वमन के रूप में प्रस्फुटित भी होने लगा है। ओपी के पक्ष में तेज़ी से बढ़ती जनभावना को किसी बड़ी लहर में परिवर्तित होने से पहले ही उसे पंक्चर कर देने की नापाक कोशिशें चालू हो गई है । इसी कोशिश के तहत माउथ-केन्वासिंग के द्वारा कुछ धूर्त लोग उन्हें बाहरी प्रत्याशी करार देने पर तुले हुए हैं तो कुछ लोग उन्हें पलायनवादी घोषित करने पर उतारू हैं। एक चालक वर्ग भाजपा में फूट हो जाने की चर्चा को कपोल-कल्पित ढंग से बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करने में जुट गया है। उल्लेखनीय है कि ये दुष्प्रचार की कोशिशें स्व-स्फूर्त नही हैं, वरन यह एक बड़ी व सोंची-समझी साज़िश का हिस्सा है। इस सुविचारित षड्यंत्र के पीछे भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों के वो मठाधीश शामिल हैं जिन्हें ओपी चौधरी के आ जाने से अपनी राजनीतिक दुकानदारी बन्द हो जाने का खतरा सता रहा है । हालांकि आम-जनता अब इन षड्यंत्रों को समझने लगी है अतः ये हथकंडे असफल सिद्ध हो रहे हैं तथा संभावित षड्यंत्रकारियों की आम-जनता द्वारा दबे स्वरों में भर्त्सना की जा रही है ।

raigarh news; चुरहट से अर्जुन सिंह को खरसिया लाने वाले ,मरवाही से रायगढ़ पधारे अजीत जोगी को रायगढ़ का सांसद बनाने वाले एवं सुदूर बरमकेला ब्लाक के नवापारा से रायगढ़ लाकर डॉ शक्राजीत नायक व प्रकाश नायक को विधायक बनाने वाले कांग्रेस के लोग जब ओपी चौधरी को बाहरी बताकर रुदालियों की तरह छाती पीटने लगते हैं तो बड़ा आश्चर्य होता है । यहां गौर-तलब यह भी है कि चौधरी का गांव बायंग रायगढ़ विधान सभा क्षेत्र में शामिल ग्राम सरिया से भी कम दूरी पर स्थित है और पिछले चार वर्षों में ओपी चौधरी ने रायगढ़ की जनता के लिए किए जाने वाले हर आंदोलन-हर संघर्ष का साहस के साथ नेतृत्व किया है ।

raigarh news; ज्ञातव्य है कि कांग्रेस ने खरसिया और रायगढ़ दोनों ही सीट से एक ही जाति-वर्ग के प्रत्याशी को दो-दो बार विधायक बनाकर भेजा है । अब भाजपा खरसिया से महेश साहू के बाद यदि रायगढ़ से ओपी चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाती है तो इसमें किसी को क्यों पीड़ा होनी चाहिए ? इसे तो भाजपा का सूझ-बूझ से भरा कदम ही कहा जायेगा क्योंकि भाजपा की यह सोशल इंजीनियरिंग ना केवल रायगढ़ व खरसिया वरन सक्ती व चंद्रपुर विधान सभा सीट के लिए भी फलदायक सिद्ध हो सकती है । जहां तक ओपी चौधरी का प्रश्न है तो उनको लेकर आम जनमानस में यह चर्चा है कि वे प्रशासनिक अनुभव रखने वाले सक्षम , कार्यकुशल व साफ छवि के युवा नेता हैं । प्रशासनिक अधिकारी के रूप में उन्होंने बस्तर, रायपुर से जांजगीर क्षेत्र तक के विकास को अपनी अभिनव योजनाओं से गति देकर इन क्षेत्रों का काया-पलट किया है । उनकी कार्यकुशलता व जनहित में लीक से हटकर किये गए कार्यों के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरष्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है । ऐसे सुयोग्य व सक्षम व्यक्तित्व के हाथों रायगढ़ का नेतृत्व सौंपा जाएगा तो निश्चित ही यह इस क्षेत्र के विकास के लिए ‘ मील का पत्थर ‘ साबित हो सकता है । ओपी चौधरी की सहजता व मिलनसारिता के कारण ग्रामीण जन , शहरी नागरिक , किसान , व्यापारी, कर्मचारी, बुद्धिजीवी, छात्र-युवावर्ग व महिला वर्ग, सभी के बीच उनकी सहज स्वीकार्यता है ।

raigarh news; यही कारण है कि आम जनता के बीच से यह स्वर मुखरता से निकलकर सामने आ रहा है कि ओपी चौधरी को ही भाजपा को अपना प्रत्याशी बनाना चाहिए और वे प्रत्याशी बनते हैं तो उनकी जीत तय है । बस यही तथ्य उनकी अपनी पार्टी के भीतर व अन्य दलों के प्रतिस्पर्धियों को खौफजदा किये हुए है । कुछ कूटनीतिक लोगों को अभी भी यह कोशिश है कि रणविजय सिंह जूदेव की तरह ओपी चौधरी का मनोबल भी तरह-तरह के दुष्प्रचार से गिराया जाए ताकि वे भी रणविजय सिंह की तरह मैदान से हट जाएं । ओ पी के पक्ष में जनभावना की तीव्रता को देखते हुए इन नापाक कोशिशों के औंधे-मुंह गिर जाना लगभग तय माना जा रहा है ।बहरहाल , शतरंज की बिसात बिछ चुकी है । एक से एक संगीन चालें चली जा रही है । देखना यह है कि शह और मात के इस खेल में कौन बाज़ी मार ले जाता है  ?

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