रायगढ़. रामलीला मैदान में 1 से 3 जून तक आयोजित राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में अपने संबोधन में मुखमंत्री भूपेश बघेल ने कहा हमारे गांव-गांव में भी रामकथा के दल बने हैं। राम सबके हैं। निषादराज के हैं शबरी के हैं। सब उनमें आत्मीयता महसूस करते हैं। दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर हमने तीर्थ स्थलों के लिए 2 एकड़ जमीन मांगी है, ताकि हमारे भक्त वहां जाएं तो उन्हें सुविधा मिले।

उन्होने कहा की सब्बो झन ला राम राम अउ जय सियाराम मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने महोत्सव का नाम भले ही राष्ट्रीय रामायण महोत्सव दिया है लेकिन यहां विदेशों के दल भी हैं।रायगढ़ संस्कारधानी है। यहां शैलचित्र भी मिले हैं। यह मानव संस्कृति के इतिहास को अपने भीतर बसाए हुए है।हमारा छत्तीसगढ़ माता कौशल्या और शबरी माता का प्रदेश है। यहां सदियों से निवास कर रहे आदिवासियों, वनवासियों का प्रदेश है।

उन्होंने कहा कि तीन साल से हम लोग राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं। उनकी संस्कृति के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। उनके घोटुल, देवगुड़ी को संरक्षित कर रहे हैं।राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन पहली बार शासकीय रूप से किया जा रहा है। जैसा कि राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव किया गया है।भगवान राम साकार भी है और निराकार भी। राम को मानने वाले उन्हें दोनों स्वरूप में मानने वाले हैं।हमारा प्रयास हमारी संस्कृति, हमारे खानपान, हमारे तीज-त्यौहारों को आगे बढ़ाने का है। मैंने देखा कि रामनामी सम्प्रदाय के भाईयों ने मार्चपास्ट किया। जो कबीर का रास्ता है। रामनामी का रास्ता है। वो निराकार का रास्ता है। सबके अपने-अपने राम हैं।

गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत श्री राम सुंदर दास ने कहा कि आज गौ माता की सेवा के लिए प्रदेशभर में गौठान चल रहे हैं। संस्कृति और परंपरा के संरक्षण संवर्द्धन के लिए काम हो रहा है।
उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस तरह का कार्यक्रम आदरणीय मुख्यमंत्री जी की पहल से हो रहा है, यह अभूतपूर्व है। मुख्यमंत्री राम वन गमन पथ का विकास कर रहे हैं, गौ माता की सेवा कर रहे हैं।
पूर्व सांसद श्री नंदकुमार साय ने सुंदर संस्कृत श्लोक से की शुरुआत। इस समय जो सरकार चल रही है। वो गरीबों के लिए कार्य कर रही है। आम जनता के लिए कार्य कर रही है।
स्कूल शिक्षा मंत्री श्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने अपने सम्बोधन की शुरुआत श्लोक “श्री गुरु चरण रोज रजः के साथ की।

श्री बघेल ने मंच के प्रवेश द्वार में इस महोत्सव में शामिल होने वाले प्रतिभागी और श्रोता तथा मेहमानों, आयोजन से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों का स्वागत है।
इंडोनेशिया का दल मार्चपास्ट किया माधव कंदली असमिया रामायण के लेखक हैं, जिस तरह कृतिवास ने बंगला में अद्भुत रामायण रचा, उसी तरह असमिया रामायण भी असम में लोक परंपरा में गहराई से बसा है। 21 सदस्यीय दल असम से आया है।रामनामी समुदाय का मुख्य मंच के सामने पारंपरिक वेशभूषा में मार्च पास्ट।गोआ से छत्तीसगढ़ आए कलाकार दल ने भी मार्च पास्ट में लिया हिस्सा।झारखंड से आए 25 सदस्यीय दल ने अपने पारंपरिक वाद्ययंत्र और वेशभूषा में मार्च पास्ट किया। उन्होंने विशेष तरह के मुखौटे भी पहने हैं।
