रायगढ़

मेरे हर काम की शुरुवात होती है “श्री दिलीप षड़ंगी देवाय नमः” से – शिवकुमार सारथी

रायगढ़ । शहर के दिव्यांग कलाकार शिवकुमार सारथी जिनकी पूजा संगीत है और उनके भगवान दिलीप षडंगी इसलिए उन्होंने अपनी छाती पर श्री दिलीप षड़ंगी देवाय नमः गोदना से गुदवा कर अपने भगवान अपने गुरु दिलीप षड़ंगी को गुरु दक्षिणा दिया।आज पूरे भारतवर्ष में ऐसा कोई शख्स नहीं है जो किसी के लिए अपने शरीर को छलनी कर उसका नाम अंकित कराएं जी हां हम बात कर रहे हैंशिवकुमार सारथी रायगढ़ शहर के एक छोटे से कलाकार हैं जो बचपन से ही भजन गायक दिलीप षड़ंगी के गानों को सुनकर बड़े हुए और संगीत में रुचि रखते हुए ऑक्टोपैड गिटार बांसुरी जैसे कई वाद्य यंत्र बजाना सीखा और उसे ही अपना जीविकोपार्जन का साधन बनाया।

वाद्य यंत्र सीखने में भी उनका एक स्वार्थ यह था कि वह अपने गुरु दिलीप षड़ंगी के सानिध्य में रह सके ,और उन्हें यह सौभाग्य बार-बार मिला भी,उन्होंने कई कार्यक्रम अपने गुरु अपने भगवान दिलीप षडंगी के साथ किया शिव सारथी का कहना है की मैं अपने हर कार्य “श्री दिलीप षड़ंगी देवाय नमः ” कहकर ही आरंभ करता हूं इसलिए अपनी छाती पर भी मैंने श्री दिलीप षडंगी देवाय नमः गोदना से गोदवा लिया ताकि मरते दम तक मेरे गुरु मेरे साथ ही रहे विगत दिनों जब शिव सारथी को पता चला कि दिलीप षडंगी दिव्यांगजन रत्न सम्मान समारोह में आ रहे हैं तो उन्होंने उनसे लगातार संपर्क कर उनका राह देखा दिलीप षडंगी ने भी अपने इस चहेते कलाकार को मंच पर बुलाकर सांस्कृतिक रत्न सम्मान से नवाजा ।

गुरु शिष्य के इस दृश्य को देखकर हमने दिलीप षडंगी से उस संबंध में चर्चा किया तो उन्होंने कहा -ये शिव सारथी जी के पवित्र हृदय की परछाई है वो देखते हैं अच्छा, चूंकि उनमें अच्छाई है मैं रोज़ देखता हूं आइना, मुझे मालूम है, मुझमें कितनी बुराई है मैं नतमस्तक हु ऐसे कलयुग के एकलब्य को देखकर जिन्होंने यह साबित कर दिया कि केवल भाव और दृढ़इच्छा शक्ति से निःसंदेह इंसान भगवान को प्राप्त कर सकता है।मैं सौभाग्यशाली हु मुझे ऐसा चाहनेवाला इंसान ,कलाकार और शिष्य मिला।

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