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अतीक-अशरफ की हत्या के बाद हत्यारों ने क्यों लगाए धार्मिक नारे

प्रयागराज। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच के लिए एसआईटी का गठन हो गया है। उधर, तीनों हत्यारोपियों को सोमवार को प्रतापगढ़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया। वहीं, पुलिस गुड्डू बमबाज और अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन की तलाश भी तेज कर दी है। गुड्डू बमबाज वही शख्स है, जिसने उमेश पाल की हत्या के दौरान बम से हमला किया था।

इन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा अतीक और अशरफ की हत्या के बाद हत्यारों की हो रही है। गोलियां बरसाने के बाद इन लोगों द्वारा लगाए गए धार्मिक नारे की भी हो रही है। हत्या करने के ठीक बाद तीन में से दो हत्यारों ने धार्मिक नारे लगाए थे। उसी वक्त दोनों को पुलिस ने पकड़ लिया था। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर हत्यारों ने धार्मिक नारे क्यों लगाए? वह क्या संदेश देना चाहते थे? ऐसे ही तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए हमने मनोवैज्ञानिक डॉ. हेमा खन्ना और रिटायर्ड आईपीएस महेंद्र सिंह से बात की।

हत्या वाली रात क्या हुआ था? शनिवार की रात अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल ले जाया गया था। जैसे ही वह पुलिस की वैन से उतरा, मीडियाकर्मियों ने उसे घेर लिया। हत्यारे भी मीडियाकर्मी बनकर ही अस्पताल पहुंचे थे। इसी बीच, एक हत्यारे ने पिस्टल निकाली और अतीक अहमद के सिर पर सटाकर गोली मार दी। अतीक जैसे ही गिरा, तीनों हत्यारे धुंआधार गोली चलाने लगे और अतीक के साथ-साथ उसके भाई अशरफ की भी हत्या कर डाली। इसके बाद दो हत्यारों ने धार्मिक नारे लगाते हुए पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।

हत्यारों ने क्यों लगाए धार्मिक नारे? मनोवैज्ञानिक डॉ. हेमा खन्ना कहती हैं, ‘मौजूदा समय धार्मिक मसलों को लेकर एक अलग से बयार चल रही है। अतीक और अशरफ की हत्या का जो वीडियो सामने आया है, उसमें साफ दिख रहा है कि कैसे पहले तीनों लड़कों ने दोनों की हत्या की और फिर उनमें से दो लड़के ने धार्मिक नारे के साथ पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया, जबकि एक अपनी पिस्टल फेंककर वहीं, लेट गया। इससे मालूम चलता है कि तीनों को डर था कि इस घटना के बाद जवाबी कार्रवाई में पुलिस उसे भी मार देगी। संभव है कि मारे जाने के डर के चलते ही दोनों ने धार्मिक नारे लगाए हो। उन्हें लगा हो कि ऐसा करके वह बच जाएं।’

डॉ. खन्ना आगे कहती हैं, ‘ये भी संभव है कि हत्यारों ने धार्मिक नारे लगाकर इस समुदाय की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश की हो। या इस पूरे प्रकरण को धार्मिक रंग देने की भी कोशिश हो सकती है।’वहीं, रिटायर्ड आईपीएस महेंद्र कहते हैं, ‘जिस तरह से हत्यारों ने हत्या की और उसके बाद धार्मिक नारे लगाए, उससे साफ है कि ये एक बड़ी साजिश हो सकती है। हो सकता है कि इस पूरे प्रकरण के जरिए सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश रची गई हो।’उन्होंने कहा कि ये भी हो सकता है कि हत्यारों ने धार्मिक नारे लगाकर पुलिस से बचने की कोशिश की हो। उन्हें लगा हो कि ऐसा करके वह एक विशेष समुदाय के लिए हीरो बन जाएंगे और पुलिस भी तुरंत उनका एनकाउंटर नहीं करेगी। हालांकि, ये केवल उनकी सोच थी। पुलिस ने उन्हें मौके पर इसलिए नहीं मारा क्योंकि उस वक्त उनकी प्राथमिकता वहां मौजूद मीडियाकर्मियों और अन्य लोगों को सुरक्षा प्रदान करने की थी।

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