जांजगीर-चांपा

गौठान में सब्जी उत्पादन कर स्व सहायता समूह की महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर

तिलई गौठान में स्व सहायता समूह की महिलाएं आलू, टमाटर, बैंगन, भिंडी सब्जियों का उत्पादन कर हों रही लाभान्वित, बेहतर स्वरोजगार की ओर बढ़ रही महिलाएं

जांजगीर-चांपा। जांजगीर चांपा जिले के अकलतरा विकासखंड के ग्राम पंचायत तिलई में मल्टीएक्टिविटी का कार्य किया जा रहा है। यह मल्टीएक्टिव गौठान 38 एकड़ में फैला हुआ है। जहां स्वसहायता समूह की दीदियां सब्जियों का भरपूर उत्पादन कर रहीं है। समूह की महिलाएं कठोर परिश्रम कर अपनी व अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हुए बेहतर स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ रही हैं। जिला प्रशासन और संबंधित विभाग द्वारा मल्टीएक्टिविटी कार्य अंतर्गत तिलई के गोठान में स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रेरित करते हुए सब्जी बाड़ी का कार्य शुरू कराया गया है। जिसमें दुर्गा स्व-सहायता समूह की महिलाएं गोठान में सब्जी उत्पादन का कार्य पूरे लगन के साथ कर रहीं हैं।

इस समूह की अध्यक्ष श्रीमती कृष्णा कौशिक और सचिव श्रीमती रामबाई कौशिक है। समूह की महिलाओं ने बताया कि इस सीजन में उन्होंने आलू, टमाटर, बैंगन, भिंडी, धनिया, लगाए हैं और इसके साथ ही उनके द्वारा स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखते हुए फसल उत्पादन में जैविक खाद का उपयोग भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वे पिछले 2 सालों से सब्जी उत्पादन का कार्य कर रही हैं और पिछले सीजन में उनके द्वारा प्याज, टमाटर, आलू, बैंगन की खेती कर 61 हजार रुपये का लाभ प्राप्त कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी उन्होंने भिंडी, बैंगन, टमाटर और आलू की खेती की है। जिसके द्वारा अब तक टमाटर 16 क्विंटल, आलू 4 क्विंटल, बैंगन 11 क्विंटल, भिण्डी 30 किलो और फूलगोभी 25 किलो फसल लिया जा चुका है। इसके साथ ही मिर्च का उत्पादन जारी है तथा आगामी कुछ दिनों में प्याज का फसल भी लिया जाएगा।

समूह की महिलाओं की मेहनत रंग ला रही है और उनके द्वारा लगाई गई सब्जी के स्वास्थ्यवर्धक व पौष्टिक होने के कारण आसपास के गांव के अधिकांश लोग उनसे सब्जियां खरीद रहे हैं। वहीं आसपास के हाट बाजार में भी समूह की महिलाएं सब्जियां बेच रही हैं जिससे उन्हें बेहतर आमदनी प्राप्त हो रही है। ग्रामीण उद्यान विकास विस्तार अधिकारी श्री मूरित साहू ने बताया कि इस सीजन में समूह द्वारा गौठान में ग्राफ्टेड बैंगन के 270 पौधे रोपित किये गए हैं। जिससे बैंगन का भरपूर उत्पादन हो रहा है। इसकी खासियत यह हैं कि इसमें विल्ट रोग नहीं लगता और इससे 45 दिनों में ही पहला फसल प्राप्त किया जा सकता है।

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