रायगढ़

“नृत्यसंस्कृती” महोत्सव में रायगढ़ की दिशा सिंह ठाकुर ने कथक प्रस्तुति से किया मंत्रमुग्ध, अंतरराष्ट्रीय मंच पर हासिल किया तृतीय स्थान

रायगढ़/नागपुर – रायगढ़ की बेटी और प्रतिभावान कथक नृत्यांगना दिशा सिंह ठाकुर ने नागपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव “नृत्यसंस्कृती” में अपनी मनोहर कथक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस प्रतियोगिता में दिशा ने तृतीय स्थान प्राप्त कर रायगढ़ जिले और अपने गुरु का नाम रोशन किया। यह प्रतिष्ठित महोत्सव अखिल नटराजम अंतर-सांस्कृतिक संघ द्वारा आयोजित किया गया, जो कि अंतरराष्ट्रीय नृत्य संघ, पेरिस (फ्रांस) का राष्ट्रीय सदस्य है। इस अवसर पर दिशा ने “नृत्यनाद – द एकेडमी ऑफ आर्ट” की ओर से मंच पर प्रस्तुति दी।

दिशा ने अपनी प्रस्तुति में रायगढ़ घराने की कठिन बोल-बंदिशों को बेहद निपुणता से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरुआत देवी स्तुति, पक्षी परण, तोपरवानी परण और अमृतध्वनि जैसे पारंपरिक नृत्य अंशों से हुई। अंत में उन्होंने महाराजा चक्रधर सिंह द्वारा रचित प्रसिद्ध ठुमरी “चंद्रबदनी मृगलोचनी” पर भावनात्मक और सजीव अभिनय के साथ प्रस्तुति देकर दर्शकों को रसविभोर कर दिया।

इस प्रस्तुति के लिए दिशा को यह अवसर उनकी उत्कृष्ट प्रतिभा, मजबूत कथक पृष्ठभूमि, और नृत्य के प्रति समर्पण को ध्यान में रखते हुए प्रदान किया गया था। दिशा सिंह ठाकुर बचपन से ही कथक में अत्यंत मेधावी रही हैं। वे अब तक पूरी (तरांगा), बिलासपुर, नाम्जेरा, मधुगुजेन, क्रीकंणी, नृत्यधरोहर जैसे कई मंचों पर अपने नृत्य की छाप छोड़ चुकी हैं। उन्हें अब तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नृत्य सम्मान भी मिल चुके हैं।


गुरु पायल मानिकपुरी के मार्गदर्शन में दिशा कथक की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और वर्तमान में “नृत्यनाद – द एकेडमी ऑफ आर्ट” में कथक तृतीय वर्ष की छात्रा हैं। उनके गुरु के सान्निध्य में दिशा लगातार रायगढ़ घराने की परंपराओं, बंदिशों और नृत्य शास्त्र का गहन अध्ययन कर रही हैं। दिशा की इस शानदार उपलब्धि ने माता दिव्या सिंह ठाकुर ,पिता शैलेश सिंह ठाकुर और रायगढ़ के सांस्कृतिक क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है और युवा पीढ़ी को भारतीय शास्त्रीय नृत्य के प्रति प्रेरित किया है।

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