लक्ष्मी नारायण लहरे
भिलाई। लोक कला एवं साहित्य संस्था सिरजन के तत्वावधान में सुरता पारकर का आयोजन निर्मल ज्ञान मंदिर कबीर आश्रम नेहरू नगर भिलाई में शनिवार 19 अप्रैल को अपराह्न 2 बजे से आयोजित की गई।
कार्यक्रम में अतिथि के रूप में विजय बघेल सांसद दुर्ग लोक सभा क्षेत्र, वरिष्ठ साहित्यकार भिलाई डा परदेशी राम वर्मा, डॉ डी पी देशमुख संपादक कला परम्परा भिलाई, डॉ मुक्ति बैस सहायक संचालक समग्र शिक्षा राज्य परियोजना रायपुर, आत्मा राम साहू ट्रस्टी अध्यक्ष निर्मल ज्ञान मंदिर कबीर आश्रम नेहरू नगर भिलाई तथा डॉ दीनदयाल साहू प्रांताध्यक्ष लोक कला एवं साहित्य संस्था सिरजन भिलाई उपस्थित रहे।
वरिष्ठ साहित्यकार व समाज सेवी रहे रामप्यारा पारकर की स्मृति में आयोजन का यह नवम वर्ष था।
पारकर जी महिला उत्थान के लिए सतत प्रयासरत रहे, इसलिए उनकी कल्पना के अनुरूप राम प्यारा स्मृति सम्मान प्रति वर्ष समाजसेवी और साहित्य व कला से जुड़ी महिला प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाता है। इस वर्ष यह सम्मान श्रीमती9 डगेश्वरी पारकर को प्रदान किया गया । डगेश्वरी पारकर लगातार साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रही हैं। इसी के साथ ही श्रीमती निर्मला सिन्हा की कृति काव्य संग्रह निर्मला की कलम से तथा शिवपाल ताम्रकार की कृति आत्मकथा सूना घर संसार का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में सांसद विजय बघेल ने रामप्यारा पारकर के द्वारा किए गए समाज9 सेवा के योगदान को विस्तार से जन समक्ष रखा। इसके साथ ही शासकीय हाई स्कूल बेलौदी का नामकरण रामप्यारा पारकर के नाम पर रखने संबंधित प्रक्रिया को जल्द पूर्ण का आश्वासन दिए।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ परदेशी राम वर्मा ने विमोचित कृतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कला परम्परा के संपादक डॉ डी पी देशमुख ने रामप्यारा पारकर किस कारण उन्हें आज स्मरण कर रहे हैं इस पर अपनी बात रखी। समग्र शिक्षा राज्य परियोजना कार्यालय की सहायक संचालक डॉ मुक्ति बैस ने अपने पुरखों की स्मृति को बनाए रखना क्यों आवश्यक है इस पर विस्तार से अपनी बात रखी। डॉ दीनदयाल साहू संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष ने सुरता पारकर कार्यक्रम आयोजित करने के उद्देश्य के बारे में अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन जागृति सार्वा और डॉ राघवेन्द्र राज ने किया। आभार प्रदर्शन बी पी पारकर ने किया। कार्यक्रम में साहित्यकार, समाजसेवी और गणमान्य नागरिक संस्था के सदस्य और पदाधिकारी, आश्रम के सदस्य के साथ ही अनेक साहित्यिक संगठनों के सहितकर इस गरिमामई कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
