रायपुर

कौन होगा सूबे का मुखिया? रमन सिंह के अलावा इन चेहरों पर दांव लगा सकती है भाजपा

रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली। छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 54 सीटों पर भागवा लहराया है। जबकि साल 2018 में 68 सीटें जीतने वाली कांग्रेस महज 35 सीटों पर सिमट कर रह गई। छत्तीसगढ़ में बीजेपी इस बार बिना किसी सीएम चेहरे के विधानसभा चुनाव में उतरी थी। ऐसे में सवाल उठता है कि पार्टी का सीएम चेहरा कौन होगा? पूर्व सीएम रमन सिंह समेत कई बड़े चेहरे हैं जो सीएम की रेस में शामिल हैं। अब देखने वाली बात ये होगी की पार्टी किस चेहरे पर दांव लगाती है। आइए आपको बताते हैं उन पांच बड़े चेहरों के बारे में जो छत्तीसगढ़ में सीएम पद की रेस में शामिल हैं।


छत्तीसगढ़ के लगातार तीन बार सीएम रहे रमन सिंह राज्य में भाजपा का बड़ा चेहरा है। रमन सिंह 15 साल सूबे के मुख्यमंत्री रहे हैं। हालांकि बीजेपी ने इस बार चुनाव में सीएम पद का चेहरा घोषित नहीं किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ सामूहिक नेतृत्व में पार्टी चुनावी मैदान में उतरी थी। पीएम मोदी ने खुद कई जनसभाओं को संबोधित करते हुए जनता से कहा था कि कमल का फूल ही भाजपा का चेहरा है।


दूसरा बड़ा चेहरा जिसकी चर्चा मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों ने है वे हैं भारत सरकार में मंत्री रही रेणुका सिंह का जोकि आदिवासी समाज से भी आती हैं। उनको पार्टी ने भरतपुर सोनहत सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। रेणुका सिंह ने कंग्रेस के गुलाब कमरो को हराकर विधानसभा पहुंची हैं। साल 2003 में वो पहली बार विधायक चुनी गई थीं। रेणुका सिंह के राजनीतिक सफर की शुरुआत जनपद पंचायत चुनाव से हुई थी। 1999 में वो पहली बार जनपद पंचायत की सदस्य चुनकर राजनीति में आईं। उसके बाद सन 2000 में बीजेपी ने उनको रामानुजनगर मंडल का अध्यक्ष बना दिया और साल 2002 में समाज कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रहने के साथ ही रेणुका सिंह 2003 में पहली बार सरगुजा संभाग की रामानुजनगर विधानसभा से विधायक चुनी गईं। रेणुका सिंह दूसरी बार साल 2008 में विधायक बनीं। रेणुका स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री रहीं और सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष भी रहीं। रेणुका सिंह ने साल 2019 मे सरगुजा संसदीय क्षेत्र से सांसद बनीं और मोदी सरकार में जनजातीय मामलों की केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। स्नातक तक शिक्षा प्राप्त रेणुका सिंह तेज तर्रार छवि वाली नेता मानी जाती हैं।छत्तीसगढ़ बीजेपी के दिग्गज नेता बृजमोहन अग्रवाल भी सीएम पद की रेस में हैं। अग्रवाल लगातार विजय पताका फहराते जा रहे हैं। रायपुर दक्षिण सीट से बृजमोहन अग्रवाल 8वीं बार चुनाव जीते हैं। बृजमोहन अग्रवाल रमन सिंह की सरकार में मंत्री भी रहे हैं।


छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष अरुण साव भी सीएम की रेस में शामिल हैं। माना जा रहा है कि अगर डॉ. रमन सिंह को मौका नहीं मिलता है तो अरुण साव को सीएम बनाया जा सकता है। फिलहाल अरुण साव बिलासपुर से सांसद हैं। साव लोरमी सीट से चुनाव भी जीत गये हैं। अरुण साव ओबीसी समुदाय के साहू समाज से आते हैं। प्रदेश में लता उसेंडी बीजेपी का बड़ा आदिवासी चेहरा हैं। साल 2003 में पहली बार विधायक बनी थीं उसेंडी दो बार विधायक रही हैं और दो बार उनको हार का सामना करना पड़ा है। उसेंडी भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। उनका नाम भी सीएम की रेस में शामिल है।

विधानसभा चुनाव में जीते 10 भाजपा सांसदों ने सांसदी छोड़ी, नरेंद्र तोमर से लेकर राज्यवर्धन राठौड़ तक शामिल. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव के बाद भाजपा ने भले ही मुख्यमंत्री को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन इन राज्यों में चुनाव लड़ कर जीतने वाले पार्टी के 10 सांसदों ने अपनी-अपनी सांसदी छोड़ दी है। जिन बड़े नामों ने अपनी संसद सदस्यता छोड़ी है, उनमें नरेंद्र तोमर से लेकर राज्यवर्धन राठौड़ तक के नाम शामिल हैं। जिन सांसदों ने सांसद पद छोड़ा है, उनमें मध्य प्रदेश से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, प्रह्लाद पटेल, राकेश सिंह, उदय प्रताप और रीति पाठक शामलि हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ से अरुण साव और गोमती साय शामिल हैं। वहीं, राजस्थान से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा ने सांसद पद छोड़ा है। गौरतलब है कि भाजपा ने हिंदी पट्टी के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में कई सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा था। पार्टी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में सात-सात और छत्तीसगढ़ में चार मौजूदा सांसदों को टिकट दिया था। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद इन सांसदों के दल को लेकर लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से मिलने पहुंचे। चुनाव जीतने वाले दो अन्य सांसद बाबा बालकनाथ और रेणुका सिंह इस दौरान नड्डा के साथ नहीं पहुंचे।

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