रायगढ़

सुनील रामदास के फाउंडेश्न के सहयोग से प्राणिक हीलिंग ग्रुप और यूथ पीस फाउंडेशन द्वारा किया गया पौधरोपण

रायगढ़ . नगर के गुलाब गार्डन में प्राणिक हीलिंग ग्रुप और यूथ फाउंडेशन द्वारा पौधरोपण किया गया, जिसमें रामदास द्रौपदी फाउंडेशन द्वारा 6 फुट से ऊपर के फलदार, छायादार व शोभाकारी पौधे प्राणिक हीलिंग ग्रुप और यूथ फाउंडेशन को उपलब्ध कराए गए। इस अवसर पर उपरोक्त संस्थान द्वय से नेहा अग्रवाल, राजेश अग्रवाल (गट्टू), रेणु अग्रवाल, रेखा अग्रवाल, रेणु मित्तल, रेणु अग्रवाल (वाईपीएफ), सुजाता अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, सपना अग्रवाल, कोमल अग्रवाल, द्रौपदी अग्रवाल, उमा अग्रवाल, शाश्वत अग्रवाल, लीला पटेल (रायगढ़ रेंजर), संजय देवांगन, मदन महंत व रामदास द्रौपदी फाउंडेशन द्वारा संचालित पर्यावरण संरक्षण रथ के संचालक रामनंदन यादव सहित नगर के दर्जनों गणमान्य जन की उपस्थिति रही। उपस्थित गणमान्य जन व मातृशक्ति द्वारा गुलाब गार्डन के गेट से पर्यावरण संसद तक 6 फुट से ऊपर के दर्जनों पौधे रोपित किए गए।

इस अवसर पर नेहा अग्रवाल ने बताया कि हमारी संस्था प्राणिक हीलिंग योग और अध्यात्म पर कार्य करती है। जिसका मूल उद्देश्य भारतीय दर्शन की उपयोगिता से समाज को अवगत कराना है। भारतीय दर्शन का अभिन्न अंग रहा योग मानव जीवन का दर्शन भी है। इसी कारण से कहा जाता है कि प्रकृति और योग को संयुक्त रूप से भारतीय दर्शन में स्थान मिला है। इसीलिए हमारे द्वारा पर्यावरण संरक्षण के दिशा में भी कार्य किया जाता है। इसी कड़ी में हमने वन विभाग से बात करके यह पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किया है।


रामदास द्रौपदी फाउंडेशन का अभियान प्रशंसनीय
पौधरोपण कार्यक्रम में उपस्थित यूथ पीस फाउंडेशन द्वारा बताया गया कि रामदास द्रौपदी फाउंडेशन द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु संचालित पौधरोपण अभियान मुक्त कंठ से प्रशंसा योग्य कार्य है। मानव सभ्यता के समक्ष उपस्थित प्राकृतिक असंतुलन के कारण उत्पन्न समस्याओं के मद्देनजर कहा जा सकता है कि पर्यावरण के बिंदु पर पूरे मानव जाति को एक होकर सोचने की आवश्यकता है। मानवों ने अपने सुविधाओं को बढ़ाने के लिए पर्यावरण का जिस प्रकार से दोहन किया है, वही दोहन आज समस्याओं के रूप में हमारे समक्ष खड़ा है। प्रकृति के असंतुलन से उपजे समस्याओं के निराकरण के लिए सुनील रामदास जी के नेतृत्व में चलाया जाने वाला यह अभियान समाज हेतु महत्त्वपूर्ण है। ऐसे प्रयासों से समाज में प्रकृति को संतुलित बनाए रखने के लिए इच्छा शक्ति प्रबल होगी और जब सामाजिक रूप से प्रकृति संरक्षण का कार्य किया जाएगा। तब जाकर कहीं प्रकृति के संतुलन के लिए किया जाने वाला प्रयास पर्याप्त सिद्ध हो सकता है। इसलिए हमारे द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है.

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